एपीजे कॉलेज ऑफ़ फाइन आर्ट्स जालंधर के साइकोलॉजी विभाग द्वारा ‘ऑटिज्म अवेयरनेस मंथ’ के संदर्भ में ‘मूविंग फ्रॉम सर्वाइविंग टू थराइविंग’ विषय पर एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ नीरजा ढींगरा ने इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि साइकोलॉजी विभाग कालेज में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को तो अधिमानता देता ही है साथ ही साथ उन्हें दूसरों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने की प्रेरणा भी देता है।इसी के संदर्भ में ‘ऑटिज्म अवेयरनेस मंथ’ के दौरान विद्यार्थियों को ऑटिज्म की परेशानियों से अवगत कराया जाएगा।इस वर्कशॉप में स्रोत वक्ता के रूप में ‘केयर फॉर ऑटिज्म’, लुधियाना के मैनेजिंग डायरेक्टर एंड ऑपरेशनल हेड लाइसेंसड क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट श्री अतुल मदान उपस्थित हुए। श्री अतुल मदान ने ‘स्टैंड विद ऑटिज्म अवेयरनेस’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि 36 में से एक बच्चा ऑटिज्म की बीमारी से ग्रस्त है अगर इसका समय पर पता चल जाए तो भी बहुत ही कम प्रतिशत लोग इससे उभर पाते हैं इस बीमारी से एक बार उभरने पर इसका फिर से होने का खतरा बना रहता है, लेकिन काफी बार इस बीमारी का समय पर पता नहीं चल पाता जिससे बच्चों को काफी देर तक इस बीमारी की समस्याओं से जूझना पड़ता है। इस वर्कशॉप में दूसरे स्रोत वक्ता के रूप में कॉलेज की ही पूर्व छात्रा साइकोलॉजिस्ट, एक्सप्रैसिव आर्ट थैरेपिस्ट एवं सेंटर फॉर ऑटिज्म लुधियाना की सेंटर हेड सुश्री शीनू कौछड़ उपस्थित हुई, सुश्री कोछड़ ने ‘रोल ऑफ़ ए साइकोलॉजिस्ट इन ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर:विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अगर ऑटिज्म के लिए समय पर थेरेपी शुरू कर दी जाए तो तू बच्चा कुछ बेहतर जिंदगी जी सकता है।ऑटिज्म ज्यादातर बचपन में होने वाली बीमारी है जिसमें बच्चों का लर्निंग डिसऑर्डर रहता है और उनका न्यूरल नेटवर्क वीक होता है जिससे वह सही ढंग से बोल नहीं पाते। दोनों स्रोत वक्ताओं ने एक ही बात पर ज़ोर दिया कि ऑटिज्म का समाधान थेरेपी है स्पीच थेरेपी,ऑक्यूपेशन थेरेपी एवं विद्यार्थियों को स्पेशल स्कूल में सीखने के लिए भेजा जाए तो इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है डॉ ढींगरा ने इस वर्कशाप का सफलतापूर्वक आयोजन करने के लिए साइकोलॉजी विभाग की प्राध्यापिका मैडम निहारिका मजूमदार एवं मैडम हरप्रीत कौर के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि वह इसी तरह विभिन्न विषयों पर वर्कशाप का आयोजन करती रहे ताकि विद्यार्थियों में मानसिक समस्याओं को लेकर जागरूकता का संचार हो सके।

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