जालंधर (नितिन कौड़ा ) :भारत की विरासत एवं ऑटोनॉमस संस्था, कन्या महा विद्यालय, जालंधर द्वारा आई.पी.आर.
तथा आई.पी. मैनेजमेंट फॉर स्टार्टअप्स विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप का
आयोजन करवाया गया. आई.पी.आर. की बारीकियों पर चर्चा करती तथा आई.पी. मैनेजमेंट
के लिए कानूनी ढांचे और नीतियों के बारे में ज़रूरी ज्ञान प्रदान करती इस वर्कशॉप में भारत
के 23 से भी अधिक राज्यों के साथ-साथ फिलीपींस, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि
देशों से 950 प्रतिभागियों ने पूरे जोश एवं उत्साह के साथ हिस्सा लिया. के.एम.वी.
आई.पी.आर. सेल और के.एम.वी. आई.आई.सी. के द्वारा सी. एस. आई. आर. – आई.
एम.एम.टी. (मैत्री) के सहयोग आयोजित हुई इस वर्कशाप के पहले दिन डॉ. कपिल आर्य,
प्रिंसिपल साइंटिस्ट, सी. एस. आई. आर. -आई. पी. यू., नई दिल्ली प्रतिभागियों के रूबरू
हुए. अपने संबोधन के दौरान डॉ. आर्य ने आई.पी. और आई.पी. आर. के विभिन्न पहलुओं
पर चर्चा करने के साथ-साथ ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और पेटेंट पर चर्चा की एवं स्टार्टअप के
लिए उनके महत्व पर ज़ोर दिया. इसके अलावा उन्होंने केस स्टडीज़ के साथ ट्रेडमार्क चयन,
फायदे और ब्रांडिंग पर प्रकाश डालने के साथ-साथ ट्रेडमार्क फाइलिंग, डिज़ाइन फाइलिंग,
कॉपीराइट फाइलिंग और उल्लंघन के बारे में भी बताया. वर्कशॉप के दूसरे दिन डॉ. टी.
पवन कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक, सी.एस.आई.आर.-आई.एम.एम टी., भुवनेश्वर ने स्रोत वक्ता
के रूप में शिरकत की. प्रतिभागियों से संबोधित होते हुए डॉ. कुमार ने आविष्कारों के लिए
पेटेंट पर ध्यान केंद्रित करते हुए आई.पी. और आई.पी.आर. के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा
शुरू की. उन्होंने वैश्विक और राष्ट्रीय केस स्टडीज़ का उपयोग करते हुए पेटेंट के माध्यम से
आविष्कारों की सुरक्षा के बारे में विस्तार से बताया. इसके अलावा उन्होंने वैश्विक परिप्रेक्ष्य
से आई.पी. के लाभों पर ज़ोर देते हुए एक शोध विचार को बाज़ार में लाने के प्रत्येक चरण
में आवश्यक प्रयासों के बारे में भी चर्चा की और साथ ही आई.पी. के विकास के बारे में
बताया, जिसमें संपत्ति के अधिकार, कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार रहस्य के साथ-साथ उनकी
अवधि और नवीनीकरण प्रक्रियाएं भी शामिल हैं. डॉ. कुमार ने नवाचार की शक्ति और पेटेंट
किए जा सकने वाले अनुसंधान और नवाचारों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर
जोर दिया. इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर वर्कशॉप्स के माध्यम से एन.जी.आई.पी.

और पेटेंट को बढ़ावा देने में भारत सरकार के प्रयासों का भी उल्लेख किया. वर्कशॉप के
तीसरे दिन भी डॉ. टी.पवन कुमार ने प्रतिभागियों से संबोधित होते हुए बौद्धिक संपदा
अधिकार (आई.पी.आर.) सार पर ध्यान केंद्रित कर आई.पी.आर. को आविष्कारों, साहित्यिक
और कलात्मक कार्यों एवं व्यापार में उपयोग किए जाने वाले प्रतीकों सहित मन की रचनाओं
की रक्षा करने वाले कानूनी अधिकारों के रूप में परिभाषित किया, जो रचनाकारों या मालिकों
को विशेष अधिकार प्रदान करते हैं. डॉ. कुमार ने नए विचारों और प्रौद्योगिकियों में निवेश
के लिए प्रोत्साहन प्रदान कर इनोवेशन, रचनात्मकता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में
आई.पी.आर. की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में समझाया और उन्होंने एक केस स्टडी के
माध्यम से पेटेंट के इतिहास, पेटेंट कागज़ात की संरचना और मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया
पर चर्चा की. इसके अलावा उन्होंने टेक्नोलॉजी बायोटेक्नोलॉजी और फार्मास्यूटिकल्स में
आई.पी.आर. के बढ़ते महत्व को भी संबोधित किया, विशेष रूप से विकासशील देशों में ज़रूरी
वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए संतुलन के महत्व के बारे में भी
बताया. विद्यालय प्रिंसिपल प्रो.अतिमा शर्मा द्विवेदी ने इस अवसर पर संबोधित होते हुए
शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने वाले कन्या महा विद्यालय द्वारा दिन
प्रतिदिन ऐसे प्रयास किए जाते रहते हैं जिससे विद्यार्थियों के शिक्षा एवं ज्ञान में और वृद्धि
की जा सके तथा आई.पी.आर. और आई.पी. मैनेजमेंट विषय पर यह अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप
इस दिशा की ओर एक शानदार कदम है. इसके साथ ही उन्होंने स्रोत वक्ताओं के प्रति
आभार व्यक्त करने के साथ-साथ इस सफल आयोजन के लिए आई.पी.आर. सेल एवं
आई.आई.सी. के द्वारा किए गए प्रयत्नों की प्रशंसा की.

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