जालंधर, 6 दिसंबर

नकारात्मक राजनीतिक, धार्मिक एवं प्रशासनिक परिस्थितियों का सामना करने में असफल रहने के कारण दलित समाज का एक बड़ा तबका पिछड़ गया है। कमजोर राजनीतिक पकड़ और दलित समाज का आपसी विभाजन इसकी मुख्य वजह है। पूरे दलित समाज को एकजुट होकर इन चुनौतियों का सामना करना होगा। यह कहना है पूर्व केन्द्रीय मंत्री व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व चेयरमैन व दलित चेतना मंच के चेयरमैन विजय सांपला का, जोकि डा. भीमराव अंबेडकर जी के महापरिनिर्वाण दिवस के उपलक्ष पर आयोजित दलित महा पंचायत को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में बदलाव दलित समाज के क्षमतावान लोगों को आगे होना होगा, यह लोग अपने समाज के जरूरतमंद लोगों के हाथ पकड़ उन्हें मुख्यधारा में लाने में सहयोग करें।

*बाबा साहेब के जीवन से प्ररेणा लें क्षमतावान लोग*

डा. अंबेडकर जी का उदाहरण देते हुए सांपला ने कहा कि बाबा साहेब ने अपनी व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं को त्यागकर समाज और देश की सेवा की। अपने समय में सबसे शिक्षित व्यक्तियों में शामिल बाबा साहेब बहुत सारी सुख सुविधाएं प्राप्त कर सकते थे लेकिन उन्होंने दलित समाज के हितों को सर्वोपरि समझा। देश के लिए की सेवा करते हुए अपना पूरा जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि संघर्ष और त्याग से ही समाज में बदलाव लाया जा सकता है।

*सामूहिक प्रयासों से होगा दलित समाज की समस्याओं का समाधान*

सांपला ने दलित समाज की एकता पर जोर देते हुए कहा कि मौजूदा समय दलित समाज अलग -अलग वर्गों में विभाजित हो चुका है, जिससे समस्याएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि दलित समाज को अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करनी होगी, क्योंकि कमजोर नेतृत्व के चलते सामाजिक और धार्मिक समस्याएं बढ़ रही हैं। राजनीतिक ताकत के बिना सामाजिक और प्रशासनिक अधिकारों को सुरक्षित करना कठिन है। हमें एकजुट होकर इन चुनौतियों का सामना करना होगा।

दलित समाज की जो समस्याएं पंजाब में है वही समस्याएं तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा और जम्मू कश्मीर के दलित समाज की हैं। रविदासी, बाल्मीकि, कबीरपंथी, धानक, महादशा या बाजीगर, सभी वर्गों की समस्याएं समान हैं। इनका समाधान केवल सामूहिक प्रयासों से ही संभव है।

*मजबूत राजनीतिक पकड़ से सुधरेंगे हालात*

दलित समाज को अपनी राजनीतिक ताकत मजबूत करने की जरूरत है। हमारे नौकरीपेशा भाइयों के साथ बहुत सारे अत्याचार हो रहे। सामाजिक जीवन में बहुत सारी समस्याएं हैं। धार्मिक तौर पर हम पर बहुत सारी बंदिशें है। इन सबका कारण यही है कि हमारी राजनीतिक पकड़ कमजोर हो रही है। आज दलित समाज में कुशल और मजबूत नेतृत्व कमी खलती है। ऐसे में राजनीतिक मजबूत पकड़ से ही हम सामाजिक, धार्मिक और प्रशासनिक पकड़ मजबूत कर सकते हैं, इसके लिए हमें अनेक से एक होना होगा। उन्होंने कहा कि दलित समाज को अपनी ताकत मजबूत करने की जरूरत है । दलित चेतना मंच जहां आपसे आह्वान करता है कि हम एक होकर इन नकारात्मक परिस्थितियों का सामना करें।

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