
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा श्री राधा कृष्णा मंदिर सनौली में तीन दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया गया। कथा के अंतिम दिन में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा 4यास साध्वी सुश्री
श्वेता भारतीजी ने शिव विवाह का वर्णन किया। जिनके जीवन चरित्र के माधयम से इंसान इस संसार में कैसे रहनाहै यह समझ सकता है। 1योकि चरित्र एक ऐसा धन है जो जिसके पास है वह संसार का सबसे धनी व्यक्ति है।अगर किसी के पास चरित्र नही है तो उसके पास सब कुछ होते हुए भी कुछ नही है।
आगै साध्वी जी ने कहा कि संसार का अटल नियम है कि कुछ भी बनाना हो उसके लिए तरतीब,
विवेक और समय की जरूरत पड़ती है। एक छोटी सी झोपड़ी को बनाने के लिए भी इन सभ की जरूरत पड़ती है।अगर कोई गांव या शहर उजाडऩा हो तो उसके लिए कोई सयाणप या तरतीब की जरूरत नही 4लकि उसे दो-चारमूर्ख ही उजाडऩे के लिए काफी है। यहां किसी चीज को बनाने के लिए कई साल लग जातै है वही उसे तबाह करने के लिए कुछ ही पल लगते है। एक बात और सृजन की भावना किसी आम दिमाग में से नही निकलती। प्रमात्माने धरती का सृजन किया है ले1िन स्वार्थी लोगो ने देशो और सरहदों के नाम पर उसे बांट कर रख दिया है।प्रमात्मा ने एक इंसान बनाया था ले1िन खुदगर्ज इंसान अपने आपको कई तरह के सामाजिक दायरो बांट लियाहै। इंसान तब और घृणा के योगय हो गया जब उसने प्रमात्मा के नाम पर भी बटवारा कर लिया। अगर झुठ सत्यको तोडऩे की बात करें तो सत्य कभी नही टुट सकता बेशक कुछ समय के लिए सत्य टुटता हुआ न•ार आता है।ले1िन सत्य की कीमत फिर भी बरकरार रहती है। जैसे कोई पत्थर सोने के प्याले को तोड़ दे तो सोना टुटा तोजरूर ले1िन उसकी मूल कीमत में कोई कमी नही आती। ठीक इसी तरह लोगो ने प्रमात्मा को बांटनेे की बहुत
कौशिश की लेक्नि प्रमात्मा इंसान की इन कच्ची धारणायों में कभी कैद नही हुआ। प्रमात्मा ने महापुरूषों के
जरीए इंसान के सामने अपने तक पहुँचने का एक ही मार्ग बताया है। बेशक इंसान उसके पास पहुंँचने के लिएअनेको मनमत के मार्ग बना लिए है। हम जिस मार्ग को भुलकर अपने बनाए रास्तो पर चल रहै है उससे हमप्रमात्मा से दुर होते जा रहै है। लेक्नि जब इंसान के भीतर पूर्ण गुरू का आगमन होता है वह उसे शाशवत मार्ग केविष्य में बता देते है जिसे वह भुस चुका है। जब इंसान गुरू के बताए मार्ग पर चलता है तो वह प्रमात्मा को प्राप्तकर लेता है। उससे उसके भीतर परउपकार की भावना जन्म लेती है। संखेप में कहे तो प्रमात्मा को जानने के बादही इंसान को समझ आती है कि हम सभ उस प्रमात्मा की ही संतान है। उसके भीतर से दुष्पृविर्तीयां खत्म होजाती है उसके भीतर सद्गुणो का जन्म होता है। गुरू इंसान के मन के अंधेरे को मिटाकर उसके भीतर प्रकाश कीरौशनी को भरता है। जिससे हमारे भीतर अच्छे विचारो का सृजन होता है। हम इस बात को रोजाना जिन्दगी के अनुभव के आधार पर अच्छी तरह जानते है कि अन्धेरे में विनाश ही होता है और प्रकाश में सृजन। इस हमें प्रभुकी स्ृषटि में विनाश की नही 4लकि सृजन की मिशाल बनना है और अपने जीवन को सार्थक करना है।