
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, नूरमहल आश्रम में मासिक सत्संग समागम एवं भंडारे का आयोजन किया गया। मंच का सञ्चालन करते हुए श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सौम्या भारती जी ने बताया कि रविवार का दिन एक सांसारिक व्यक्ति अन्य दिवसों से हटकर, सुबह आराम से उठना, घर के छोटे-छोटे काम निपटाना, मौज-मस्ती इत्यादि में व्यतीत करता है। परन्तु एक गुरु का साधक इस विशेष दिवस को भक्ति के रंग में रंग कर व्यतीत करता है। इस दिन साधक शीघ्र उठ कर, संसार के कार्यों को छोड़ कर, सत्संग में सम्मलित होने के लिए आतुर रहता है।
सत्संग समागम में साध्वी अक्षदा भारती जी ने बताया कि पूर्ण गुरु की शरण में जाए बिना, मनुष्य कभी सार्थक परिणाम प्राप्त नहीं कर सकता। चाहे वह यज्ञ, उपवास, जप, तप, दान, तार्थादि कोई भी मार्ग अपना ले। वो मूढ़ की भांति इधर-उधर ही भटकता रह जाता है।
आगे स्वामी विकासानंद जी ने बताया की धर्म के चिह्नों को धारण करने से धार्मिक नहीं बना जाता, अपितु गुरु कृपा से ईश्वर के तत्त्व रूप का दर्शन कर व सद्वृत्तियों को धारण करने से धार्मिक बना जाता है।