जालंधर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मा पिंड चौक जालंधर में मां बगलामुखी जी के निमित्त श्रृंखलाबद्ध सप्ताहिक दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन किया गया ।
सर्व प्रथम ब्राह्मणों द्वारा मुख्य यजमान अरुण कुमार से पहले पंचोपचार पूजन , षोढषोपचार पूजन, नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाई।
हवन-यज्ञ में पूर्ण आहुति डलवाने उपरांत सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने मां भक्तों को विधाता द्वारा बनाई सृष्टि के बनाए राज को समझाते हुए कहते है कि विधाता ने इस सृष्टि की सारी चीजों का निर्माण कर लिया, लेकिन फिर भी वह संतुष्ट नहीं था। वह सोचता रहा कि क्या करूं, कैसे करूं कि यह पृथ्वी और सुहानी बन जाए। उसने सूरज, चांद और सितारे बनाए और उन्हें नीले आसमान में बिना किसी खंभे के लटका दिए। लो, अब तो रोशनी भी हो गई। नदी, नाले, पहाड़ और सागर बना दिए। कितना सुंदर दृश्य बन गया। पर सन्नाटा फिर भी नहीं गया। अचानक एक रोज उसने इस पृथ्वी पर से थोड़ी मिट्टी उठाई, उनसे तरह-तरह के पुतले बनाए और उन सब में प्राण फूंक दिए। पृथ्वी पर चहल-पहल आ गई। उन्हीं जीवित पुतलों में मनुष्य भी था, उसने पृथ्वी पर जीवन का सौंदर्य और मुखरित कर दिया। विधाता की इस मनमोहक रचना को देखकर देवदूत आश्चर्य चकित रह गए। वे बोले, अनुपम कृति है आपकी। इसने आपकी सृष्टि को पूर्णता प्रदान कर दी। पर इन पुतलों को मिट्टी से क्यों बनाया? इससे कितनी अच्छी चीजें आपके पास थीं, आप सोना से बनाते, चांदी से बनाते। इतना परिश्रम कर आकार दिया, उनमें प्राण फूंके, पर किया उसे मिट्टी से। विधाता मुस्कराए। फिर बोले, जीवन सर्वश्रेष्ठ है। उसे मिट्टी से इसलिए रचा ताकि किसी प्राणी को अभिमान न हो। जड़ में आनंद का चैतन्य फूंका है। इसका जैसे चाहे उपयोग करो। जो मिट्टी के इस शरीर को महत्व देगा, वह जड़ता में व्याप्त इस ‘‘चैतन्य’’ का चमत्कार जान कर अपने इस अनमोल जीवन को सफल बनाएगा। जो अहंकार करेगा, वह फिर से मिट्टी बन जाएगा। लेकिन विधाता की यह बात आदमी को समझ में नहीं आई। विधाता ने सोचा था, मिट्टी जड़ है, लेकिन उसमें गुण हैं। मिट्टी में ही अंकुर फूटते हैं और मेहनत करने पर फसल लहलहाती है। इसी प्रकार यदि मनुष्य परिश्रम करेगा तो इस मिट्टी रूपी देह से आनंद की फसल पाएगा। नवजीत भारद्वाज जी ने मां भक्तों को अर्थात् समझाते है कि यह सत्य है, जैसे ही बनाने वाले ने मिट्टी के अंदर बोलने की शक्ति दी, तो पहली चीज वह क्या बोली? मैं मिट्टी नहीं हूं। पर मिट्टी तो वह है, और अंत में उसे मिट्टी में ही मिल जाना है। इसीलिए कबीर कहते थे, ‘‘माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोय। एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय।’’ ईश्वर रूपी कुम्हार ने मिट्टी से हमारी देह की रचना की और इसे चैतन्य बनाया। वरना यह स्थूल देह, पंचभौतिक शरीर मिट्टी ही तो है। संसार की चकाचौंध में यह पुतला भूल जाता है कि उसे फिर वापस मिट्टी में ही मिल जाना है। यह सबसे बड़ा आश्चर्य है कि मिट्टी में बसे ‘‘चैतन्य’’ को जानने से हर आदमी कतराता है। कम लोग हैं जो अनुभव के मार्ग पर चलकर ‘‘चैतन्य’’ का आनंद प्राप्त करते हैं।
इस अवसर पर श्वेता भारद्वाज,पूनम प्रभाकर,सरोज बाला,सुनीता, अंजू, गुरवीर, मंजू, प्रिया , रजनी, नरेश,कोमल , कमलजीत, धर्मपाल , अमरजीत सिंह, राकेश प्रभाकर, भोला शर्मा ,समीर कपूर, अमरेंद्र कुमार शर्मा, नवदीप, उदय ,अजीत कुमार , बावा खन्ना, विनोद खन्ना, रोहित भाटिया,नवीन जी, जोगिंदर सिंह, मनीष शर्मा, सुक्खा अमनदीप , अवतार सैनी, दीपक,गौरी केतन शर्मा,सौरभ , अजय शर्मा,दीपक , प्रदीप , प्रवीण,राजू, अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा, वरुण, दीलीप, लवली, लक्की, रोहित, विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, सुनील जग्गी, नवीन कुमार, दीपक, प्रिंस कुमार, पप्पू ठाकुर, बलदेव सिंह भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।
हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।

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