विश्व संवाद समिति (रजि. चंडीगढ़) जालंधर
मीडिया के ऊपर ही है अपनी विश्वशनीयता को बचाए रखने की चुनौती : मकरंद परांजपे
(जालंधर) अपने देश के लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक मीडिया जहाँ आज अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है, वहीँ मीडिया की साख संबंधी भी आज अनेक धारणाएं है। इसी को केंद्र में रखते हुए विश्व संवाद समिति (रजि.) जालंधर की और से नारद जयंती (पत्रकारिता दिवस) के अवसर पर एक संगोष्ठी स्थानीय विद्या धाम, श्री गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू में “फ़ेक न्यूज़, फ़ेक नैरेटिव के दौर में लोकतंत्र प्रहरी मीडिया की साख” विषय पर आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में श्री मकरंद परांजपे, डायरेक्टर, ऑल इन्डिया इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी, शिमला मुख्य वक्ता जबकि सरदार मनोहर सिंह भारज, सेवानिवृत्त असिस्टेंट स्टेशन डायरेक्टर, दूरदर्शन केंद्र, जालंधर कार्यक्रम अध्यक्ष के तौर पर उपस्थित हुए।
श्री मकरंद परांजपे जी ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में और मीडिया की विश्वसनीयता पर लोगों का भरोसा वर्तमान समय में भी स्थायी है परंतु इस भरोसे को बनाये रखने की चुनौती मीडिया के ऊपर है। मीडिया को अपने ऊपर की विश्वसनीयता को बचाये रखने का फ़र्ज़ स्वयम निभाना है।
उन्होंने कहा कि मीडिया शुरू से जो उद्देश्य लेकर चला था वह कहीं-कहीं अपने पथ को छोड़ अपनी भूमिका बदल रहा है। कई पत्रकार या मीडिया संस्थान द्वारा आज ख़बरों में स्वार्थ के आधार पर एक छिपा हुआ नैरेटिव प्रसारित किया जाता है, जिसमें सत्य की मात्रा अपने हिसाब से और स्वार्थ के साथ तय की जाती है। परंतु उनको समझना पड़ेगा कि अन्तोगत्वा जीत सत्य की होती है इसीलिए फ़ेक न्यूज़ या धारणाएं कभी जीत नही सकती।
मीडिया की अभिव्यक्ति के संबंध में बोलते हुए कहा कि मीडिया की अभिव्यक्ति पर हमला आज कोई नई बात नही है। स्वतंत्रता के तत्काल बाद ही कुछ मीडिया संस्थानों को बैन कर दिया गया था। मीडिया तब भी नही झुका था आज भी नही झुकेगा अलबत्ता वह अपने उद्देश्य से और सिद्धान्तों से भटके नही।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरदार मनोहर सिंह भारज ने कहा कि विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्र हमारे देश में है, मीडिया अपना कार्य निर्पेक्ष भाव से करे इसके लिए मीडिया के साथ लोगों का संवाद जरुरी है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से मीडिया में काफी बदलाव हुआ हैं। मीडिया की व्याप्ति बढ़ी है। विकास होने पर कुछ अच्छा होना अपेक्षित था, लेकिन माहौल गंदा हुआ है। शब्दों पर भरोसा कम हुआ है। मीडिया और पत्रकारों की तटस्थ पत्रकारिता आज समय की आवश्यकता है।
इस अवसर पर शहर के कई प्रतिष्ठित पत्रकारों, गणमान्यों सज्जनों ने कार्यक्रम में सहभाग किया।