जालंधर : आयकर विभाग और कस्टम के 27 अफसरों को जबरन रिटायर किए जाने के बाद अब मोदी सरकार का अगला निशाना जी.एस.टी. विभाग और विभिन्न मंत्रालयों में सचिव या संयुक्त सचिव स्तर पर कार्य कर रहे दागी आई.ए.एस. व आई.पी.एस. अधिकारियों पर है। बताया जा रहा है कि सरकार ने ऐसे 100 से ज्यादा अफसरों की सूची बनाई है, जिनका आचरण दागी है। ये अफसर किसी न किसी मामले में फंसे हुए हैं। जल्द ही सरकार इन अफसरों को जबरन रिटायर करने का फैसला ले सकती है। बताया जा रहा है कि पहले जी.एस.टी. विभाग में काम करने वाले दागी अफसरों को रिटायर किया जाएगा और उसके बाद आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अफसरों का नंबर लगेगा।
मोदी सरकार के दूसरी बार सत्ता में आते ही दागी अफसरों पर चलाई जा रही तलवार का मकसद देश के व्यापारियों और उद्योगपतियों को खुश करना भी है। दरअसल पिछली सरकार के दौरान सरकार के पास ऐसी कई शिकायतें पहुंची थीं जिनमें अफसरों के आचरण को लेकर सवाल उठाए गए थे। खास तौर पर नोटबंदी के दौरान बैंकों के अफसरों और जी.एस.टी. लागू किए जाने के बाद जी.एस.टी. विभाग के अफसरों को लेकर व्यापारियों को काफी शिकायत थी। व्यापारियों ने सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठाया था कि सरकार गलती से टैक्स की फाइलिंग में गड़बड़ी होने पर भी व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है लेकिन जो अफसर सरेआम उद्योगपतियों व व्यापारियों को तंग करके अपनी जेब भर रहे हैं ,उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही। लिहाजा सरकार ने दूसरी बार सत्ता में आते ही ऐसे अफसरों की सूची तैयार करनी शुरू की जिनके खिलाफ गंभीर शिकायतें थीं। इन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की शुरूआत आयकर विभाग के 12 अफसरों को जबरन रिटायर करने के फैसले के साथ हुई। इसके एक सप्ताह बाद ही सरकार ने कस्टम व एक्साइज के 15 अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया। सरकार की कार्रवाई इतनी सख्त थी कि इन्हें अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया गया।
प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत काम करने कार्मिक मंत्रालय ने सभी मंत्रालय व विभागों को अपने यहां काम करने वाले दागी अफसरों की पहचान करने के निर्देश भेजे हैं। इस निर्देश में भ्रष्ट अफसरों की पहचान करने के अलावा ऐसे अफसरों की पहचान करने के लिए भी कहा गया है जिनकी आऊटपुट शून्य है और उनके पद पर रहने या न रहने से कामकाज पर कोई फर्क न पड़ता हो। इस निर्देश में साफ कहा गया है कि दागी और सुस्त अफसरों की पहचान करते वक्त पूरी ईमानदारी के साथ काम लिया जाए और किसी के खिलाफ पूर्वाग्रह के तहत कोई कार्रवाई न हो। सरकारी निर्देश में कहा गया है कि 15 जुलाई के बाद हर महीने 15 तारीख को 50 साल की उम्र पार कर चुके ऐसे अफसरों की सूची भेजी जाए जो काम में सुस्त हैं। ऐसे कर्मचारियों को फंडामैंटल रूल 56 जे और 1972 के सी.सी.एस. (पैंशन) रूल 48 के तहत जबरन रिटायर किया जा सकता है।