
जालंधर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में सामुहिक निशुल्क दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमान प्रदीप निखंज से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन ,नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।
सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ पर उपस्थित मां भक्तों को प्रवचनों का रसापान करवाते हुए कहते है कि अहंकार, जिसे अभिमान, घमंड, गर्व एवं अहम जैसे नामों से जाना जाता है। अहंकार वह भावना है जहां व्यक्ति अपनी धन, संपत्ति , प्रतिष्ठा एवं अपने द्वारा संचय की गई विषय वस्तुओं पर गर्व करने लगता है। नवजीत भारद्वाज जी मां भक्तों को कबीर दास जी के दोहे का अर्थ सहित अनुवाद समझाते हुए कहते है कि
*मैं-मैं बड़ी बलाई है, सके निकल तो निकले भाग।*
*कहे कबीर कब लग रहे, रुई लपेटी आग।।*
व्यक्ति का अहंकार उसकी उन्नति के मार्ग पर बहुत बड़ी बाधा है। अहंकार में चूर व्यक्ति को उसका घमंड बहुत प्यारा होता है, किंतु वह यह नहीं जान पाता कि यही अहम उसे धीरे-धीरे विनाश की ओर अग्रसर करता जा रहा है। यहां ‘‘मैं’’ का तात्पर्य व्यक्ति के अहंकार से है। इस अहंकार के चंगुल से निकल सकते हो तो शीघ्र अति शीघ्र निकल कर भाग जाओ। आखिर कब तक रूई को अग्नि में लपेट कर रखा जा सकता है ? रुई और अग्नि का मेल विनाशकारी है। अधिक समय तक रुई अग्नि का ताप नहीं झेल सकती, कुछ समय बाद निश्चय ही यह अग्नि तेजी से रुई को जलाकर खाक कर देगी। ठीक इसी प्रकार अहंकार रूपी अग्नि व्यक्ति के रुई रूपी तन को जलाकर नष्ट कर देती है।
नवजीत भारद्वाज जी ने एक और कबीरदास जी के दोहे का अनुसरण और मां भक्तों को अर्थात समझाते हुए कहा कि
*बड़े बड़ाई न करे, बड़े न बोले बोल।*
*हीरा मुख से न कहे, लाख टका मम मोल।।*
जो व्यक्ति वास्तव में बड़े होते हैं वह शांत, विनम्र एवं परोपकारी स्वभाव के होते हैं। वह ना तो अपनी बड़ाई में बड़े-बड़े बातें करते हैं, ना ही दूसरों की निंदा करते हैं। नवजीत भारद्वाज जी बताते है कि कबीरदास जी इस दोहे में सज्जन पुरुषों के इस आचरण की तुलना हीरे से करते है कि जिस प्रकार हीरा अति बहुमूल्य होता है, किंतु वह कभी नहीं कहता कि उसका मूल्य लाख टके का है। उसके गुण, उसके चमक ही उसका मूल्य बताने के लिए पर्याप्त है उसी प्रकार बड़े लोगों का व्यक्तित्व ही उनके बड़प्पन को दर्शाता है।
नवजीत भारद्वाज जी प्रवचनों को विराम लगाते हुए अंत में कबीरदास जी के दोहे के अनुसरण और अनुवाद के साथ कहते है कि
*पाकी खेती देख कर, गर्व किया किसान।*
*अबहुँ झोला बहुत है, घर आवै तब जान।।*
खेत में पकी, लहलाती फसल देखकर किसान बहुत प्रसन्न होता है और उसे खुद पर गर्व होने लग जाता है। फसल से मिलने वाला लाभ उसमें अभिमान की भावना पैदा करता है। अभी फसल के लाभ मिलने में बहुत झमेले शेष हैं। दोहे में झोला शब्द का अर्थ परेशानी या झमेला है। जब फसल भली-भांति घर पहुंच जाए, तभी समझना चाहिए की सफलता मिल गई है। नवजीत भारद्वाज जी कहते है कि इस दोहे से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अंजाम तक पहुंचे बिना थोड़ी सी सफलता को अंतिम मंजिल समझकर व्यक्ति को अभिमान नहीं करना चाहिए। नवजीत भारद्वाज जी मां भक्तों को कहते है कि कबीरदास जी ने अपने इन सभी दोहों में कितने सरल एवं सहज उदाहरणों की सहायता से हम तक यह संदेश पहुंचाया है कि अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। साथ ही यह भी समझाया है कि जो व्यक्ति वास्तव में बड़ा होता है, वह अहंकार जैसे दोषों को अपने से दूर ही रखता है। हमें भी अपनी उपलब्धियों, अपने पद एवं प्रतिष्ठा पर घमंड नहीं करना चाहिए एवं सदैव शील एवं परोपकारी बनना चाहिए।
इस अवसर पर श्री कंठ जज, श्वेता भारद्वाज, राकेश प्रभाकर, पूनम प्रभाकर ,समीर कपूर,अमरेंद्र कुमार शर्मा, दिशांत शर्मा,दिनेश चौधरी,सरोज बाला,नरेश,कोमल ,विक्की अग्रवाल, जगदीश डोगरा, ऋषभ कालिया,कमलजीत,बलजिंदर सिंह,अभिषेक भनोट, धर्मपालसिंह, अमरजीत सिंह, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र ,रोहित भाटिया,बावा जोशी,राकेश शर्मा, अमरेंद्र सिंह,बावा खन्ना, विनोद खन्ना, नवीन , प्रदीप, सुधीर, सुमीत, बावा हलचल ,जोगिंदर सिंह, मनीष शर्मा, डॉ गुप्ता,सुक्खा अमनदीप , अवतार सैनी, परमजीत सिंह, दानिश, रितु, कुमार,गौरी केतन शर्मा,सौरभ ,शंकर, संदीप,रिंकू,प्रदीप वर्मा, गोरव गोयल, मनी ,नरेश,अजय शर्मा,दीपक , किशोर,प्रदीप ,सुरेंद्र कुमार, प्रवीण,राजू, गुलशन शर्मा,संजीव शर्मा, रोहित भाटिया,मुकेश, रजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा, ऐडवोकेट शर्मा,वरुण, नितिश,रोमी, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, मोहित , विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, नवीन कुमार,संजीव शर्मा, निर्मल,अनिल,सागर,दीपक,दसोंधा सिंह, प्रिंस कुमार, पप्पू ठाकुर, दीपक कुमार, नरेंद्र, सौरभ, नरेश,दिक्षित, अनिल, कमल नैयर, अजय,बलदेव सिंह भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।