
हंसराज महिला महाविद्यालय की फ्रायेडियन साइकोलाजिल सोसाइटी द्वारा प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन के दिशा-निर्देशन में संज्ञानात्मक व्यवहार थैरेपी को लागू करना – सकारात्मक बदलाव के लिए प्रैक्टिकल रणनीतियां विषय पर वर्कशाप का आयोजन किया गया। बतौर रिसोर्स पर्सन डॉ. राधिका गुप्ता उपस्थित थी। साइकोलॉजी विभागाध्यक्षा डॉ. आशमीन कौर ने प्लांटर व पेंटिंग भेंट कर उनका स्वागत किया। उन्होंने वर्कशाप का शुभारंभ गुस्से पर काबू पाने की तकनीक बताने से किया। उन्होंने कहा कि संज्ञानात्मक व्यवहार थैरेपी का फोकस आटोमैटिक नकारात्मक सोच को दूर करना होता है। हमें अपने आसपास नकारात्मक सोच को नहीं आने देना चाहिए बल्कि हमें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। भावनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए हमें अपनी पांचों इंद्रियों का प्रयोग करना चाहिए। हमें ब्रीदिंग तकनीक पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि ऑक्सीजन की सही मात्रा हमारे मस्तिष्क तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि युवाओं में अधिक सोचने की समस्या पाई जाती है। हमारा दिमाग भी उन बातों पर फोकस करना है जो या तो बीत चुकी होती है या जिन पर हमारा नियंत्रण नहीं होता। जब हम बेसहारा महसूस करते हैं तो हम अधिक सोचते हैं। प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन ने विभाग के प्रयास की सराहना की तथा कहा कि इस वर्कशाप के माध्यम से विभाग ने सोच का नया न•ारिया हमारे सामने ला दिया है। सुश्री प्रियांशु ने मंच संचालन किया तथा सुश्री हरसिमरत ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। इस अवसर पर सुश्री श्रुति बिदानी, श्रीमती अंजलि नंदन व सुश्री निधि शर्मा भी उपस्थित थे।
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