आल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एवं कॉलेज टीचर्स आर्गेनाइजेशन के बैनर तले एवं पी सी सी टी यू के सहयोग से राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक डी ए वी कॉलेज में सम्पन्न हुई । इस बैठक में नई शिक्षा नीति को लेकर खुल कर चर्चा हुई और सरकार द्वारा शिक्षा की आड़ में खेले जा रहे खेल पर चिंता व्यक्त की गई ।एफ़ेक्टो के प्रेसिडेंट प्रो केशभ भाटाचार्य नेकहा की सरकारी शिक्षा नीति में शिक्षकों को नजरअंदाज करना पूरी तरह से असहनीय है, जिसे किसी भी कीमत पर बरदाश्त नही किया जाएगा ।

पी सी सी टी यू के प्रेसिडेंट विनय सोफत ने कहा की पंजाब में सातवाँ पे कमिश्न लागू नही हो पाया, जो कि चिंता की बात है । सरकार नई शिक्षा नीति में छात्रों के तो बात करती है, वही अधयापकों को नजरअंदाज करती है ।अगर सरकार सातवाँ पे कमीशन नही देती तो अध्यापक सड़को पर उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे ।

इस दौरान तकनीकी सत्र का भी आयोजन किया गया । इस सत्र की अध्यक्षता डॉ डी कुमार ने की । इस सत्र में उनका साथ डॉ अरुण कुमार सिंह,डॉ ब्रम्हवेद शर्मा और डॉ सुरजीत सिंह ने दिया।

तकनीकी सत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में कहा गया कि पांचवीं कक्षा तक अनिवार्य रूप से मातृभाषा में शिक्षा देने तथा यथासंभव आठवीं और उसके पश्चात उच्च शिक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा देने को बढ़ावा देने का प्रावधान स्वागत योग्य कदम है। शिक्षा नीति में बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा पर विशेष रूप से ध्यान देना उचित है । इस अवसर पर जनरल सेक्रेटरी प्रो अरुण कुमार ने कहा कि शिक्षा की सार्वभौमिक पहुंच के लिए इसमें समान अवसर उपलब्ध करवाना व्यक्ति और समाज के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है, इसे शिक्षा नीति में ठीक प्रकार से उठाया जाना चाहिए ।

अंतिम दिन गुरु नानक देव विश्विद्यालय के वाईस चांसलर डॉ जसपाल सिंह संधू ने बताया कि शिक्षा नीति में भारतीय जीवन मूल्यों, परंपराओं और भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर पाठ्यक्रम में इनका समावेश एक समर्थ,गौरवशाली, आत्मनिर्भर भारत बनाने में निश्चय ही प्रमुख भूमिका निभाएगा। नीति में उल्लेखित स्नातक स्तर पर समग्र एवं बहुविषयक शिक्षा देना बहुत आवश्यक है ताकि विद्यार्थी का केवल मानसिक ही नहीं वरन शारीरिक, आत्मिक और नैतिक विकास भी हो।

इस अवसर पर जनरल सेक्रेटरी प्रो अरुण कुमार, प्रो एस एस रंधावा, प्रो रमिंदर सिंह, प्रो एच एस वालिया आदि विद्वानों ने भी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर डॉ गुरदास सिंह सेखों, डॉ बी बी यादव, डॉ सीमा जेटली, प्रो जी एस सिधू, डॉ मुनीष गुप्ता, डॉ अजय शर्मा, प्रो रवि शर्मा, प्रो सुरिंदर कुमार विशेश रूप से उपस्थित रहे ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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