भारत की विरासत एवं ऑटोनॉमस संस्था, कन्या महा विद्यालय, जालंधर के द्वारा अपनी छात्राओं के सर्वपक्षीय विकास के लिए कई इन्नोवेटिव प्रोग्राम शुरू किए गए हैं तथा जेंडर सेन्सीटाइज़ेशन भी इन महत्वपूर्ण प्रोग्रामों में से एक है. अंडर ग्रेजुएट स्तर पर सेमेस्टर तीसरे की छात्राओं के लिए अनिवार्य इस प्रोग्राम का मकसद जेंडर भूमिका एवं ज़िम्मेदारियों के प्रति रवैया एवं व्यवहार को सकारात्मक रूप में बदलने के लिए लैंगिक समानता के प्रति दृष्टिकोण को विकसित करना है. प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी आयोजित हुए इस प्रोग्राम में विद्यालय प्रिंसिपल प्रो. अतिमा शर्मा द्विवेदी छात्राओं के रूबरू हुए. हाशियगत एवं समुदाय के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध प्रो. द्विवेदी ने लैंगिक समानता को एक मानवीय मुद्दा मानते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि मर्द एवं औरत दोनों को जेंडर से संबंधित मुद्दों के प्रति ज्यादा से ज्यादा संवेदनशील होने की ज़रूरत है उन्होंने छात्राओं को समानता हासिल करने के लिए अपने आप में विश्वास रखने के लिए प्रेरित किया. आगे बात करते हुए उन्होंने विभिन्न सामाजिक मुद्दों जैसे समान अवसरों की कमी, दहेज, शारीरिक एवं मानसिक हिंसा आदि के संबंध में विचार चर्चा करते हुए समाज में फैली हुई और समानता के प्रति भी चिंता प्रकट की और छात्राओं के द्वारा पूछे गए विभिन्न सवालों के के जवाब भी अपने प्रेरणादायक शब्दों के साथ बेहद सरल ढंग से दिए. उल्लेखनीय है कि विभिन्न मॉड्यूस में बंटे हुए इस प्रोग्राम के दौरान जहां छात्राओं को कॉलेज की तजुर्बेकार फैकल्टी के द्वारा लैंगिक समानता के विभिन्न पहलुओं के बारे में समझाया गया वहीं साथ ही विमन राइट्स: लीगल एंड कांस्टीट्यूशनल राइट्स विषय पर आयोजित हुए एक लेक्चर के दौरान एडवोकेट आभा नगर ने छात्राओं को कानूनी व्यवस्था के बारे में बताया. इसके अलावा छात्राओं के लिए सेल्फ डिफेंस तकनीकों पर आधारित वर्कशॉप भी आयोजित करवाई जाएगी. प्रिंसिपल प्रो. अतिमा शर्मा द्विवेदी ने इस सफल आयोजन के लिए श्रीमती अमरप्रीत ख़ुराना, कोऑर्डिनेटर, विमेन स्टडीज़ सेंटर के द्वारा किए गए प्रयासों की भी भरपूर सराहना की.

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