जालंधर: भारत में गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती (गुरुपर्व) बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है। इस अवसर पर दिल्ली के प्रसिद्ध गुरुद्वारा बंगला साहिब को खूबसूरती से रोशन किया गया। गुरु नानक देव जी का गुरुपर्व सिख समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह पहले सिख गुरु के जन्म का उत्सव है। गुरु नानक देव जी को सिख धर्म के संस्थापक और मानवता के महान संदेशवाहक के रूप में जाना जाता है।

गुरु नानक देव जी के जीवन और उनके उपदेशों को श्रद्धा के साथ मनाने के लिए देशभर में विभिन्न धार्मिक आयोजनों का आयोजन किया गया। “सतगुरु नानक प्रगटिया, मिटी धुंध जग चानण होया…” का भव्य गायन किया गया, जिसका अर्थ है कि गुरु का नाम जपने से जीवन में अज्ञान का अंधकार दूर हो जाता है और ज्ञान का उजाला फैलता हैगाजियाबाद में गुरुपर्व के अवसर पर पंजाबी समाज के ढाई लाख से अधिक लोग 27 गुरुद्वारों में अरदास करेंगे। शहरभर में गुरुपर्व की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही थीं और इस दिन कई जगह प्रभात फेरी और नगर कीर्तन आयोजित किए गए। इस मौके पर सरदार इंद्रजीत सिंह टीटू ने बताया कि गुरु नानक देव जी ने अपनी शिक्षा के माध्यम से दुनिया को मानवता का संदेश दिया और सिखाया कि “सबका भगवान एक है”।गुरुपर्व के दिन गुरुद्वारों में विशेष दीवान सजाए गए, जिसमें कीर्तन और भजन गाए गए। बजरिया के गुरुद्वारे में हजूरी रागी सिंह भाई संत सिंह ने एक घंटे तक कीर्तन किया। इस दौरान “नानक नाम जहाज है…” शब्द की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो गया। इसके बाद अमृतसर के दरबार साहिब से रागी सिंह गुरप्रीत सिंह अटारी ने निरंतर कीर्तन किया और संगत को निहाल किया। कीर्तन के बाद गुरु का लंगर भी आयोजित किया गया।

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