जालंधर

इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में बड़ी धांधली सामने आई है। सरकारी खजाने से करीब 6 लाख रुपए निकाल कर एक अफसर औऱ उनके बेटे के लिए आईफोन खऱीदा गया है। सत्ता परिवर्तन के बाद जिस वक्त सूबे के मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनके विधायक करप्शन को खत्म करने की कसमें खा रहे हैं, उसी समय जालंधर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में यह कारनामा हो गया। जालंधर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के एक क्लर्क के नाम से पहले एक लाख और फिर बाद में पांच लाख रुपए के दो चेक बनाए जाते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि एकाउंटेंट बिना किसी आब्जक्शन के दोनों चेक बनाता है और उसे ईओ पास भी कर देते हैं। जबकि नियमानुसार दो लाख रुपए से ज्यादा की रकम को पास करने का अधिकार न तो एकाउंटेंट के पास है और न ही ईओ के पास।

 

एक लाख रुपए एडवांस इलेक्शन के दौरान लिए गए

 

ट्रस्ट से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि पहले एक लाख रुपए एडवांस इलेक्शन के दौरान लिए गए। क्लर्क द्वारा हवाला दिया गया कि इस रकम से इंप्रूवमेंट ट्रस्ट आफिस में ड्यूटी कर रहे मुलाजिमों के भोजन का प्रबंध किया जाना है। कहा जा रहा है कि इस एक लाख रुपए का बिल क्लर्क ने एकाउंटेंट के पास जमा करवा दिया।

इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के क्लर्क ने पिछले दिनों फिर से पांच लाख रुपए एडवांस मांगा। जिस पर एकाउंटेंट ने चेक बनाया और ईओ परमिंदर सिंह गिल ने उसे पास भी कर दिया। हैरानी की बात तो यह है कि एकाउंटेंट औऱ ईओ के पास दो लाख रुपए से ज्यादा के एडवांस की रकम जारी करने के अधिकार भी नहीं है।

 

ईओ के आदेश पर चेक बनाकर जारी किया

 

इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के एकाउंटेंट आशीष के मुताबिक क्लर्क ने पहले एक लाख रुपए का एडवांस लिया, ईओ के आदेश पर चेक बनाकर जारी किया। कुछ दिन में इस एक लाख रुपए का बिल क्लर्क ने दे दिया। इसके बाद उक्त क्लर्क ने फिर से पांच लाख रुपए का एडवांस मांगा, ईओ की इजाजत के बाद पांच लाख रुपए का चेक बना दिया। एकाउंटेंट से जब पूछा गया कि आपके पास दो लाख से ज्यादा के अधिकार नहीं है, तो उसका जवाब था कि अफसर का प्रेशर था

एकाउंटेंट आशीष ने कहा है कि अगर पांच लाख रुपए का बिल क्लर्क नहीं देगा, तो उसके रिकवरी की जाएगी। उधर, ईओ परमिंदर सिंह गिल ने कहा है कि इस संबंध में क्लर्क और एकाउंटेंट से पूछताछ करेंगे। अगर मामला गबन का निकला तो एकाउंटेंट और क्लर्क के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश करेंगे।

 

ईओ के पास दो लाख रुपए से ज्यादा रिलीज करने का अधिकार ही नहीं

 

हैरानी की बात तो यह है कि जब ईओ के पास दो लाख रुपए से ज्यादा रिलीज करने का अधिकार ही नहीं है, तो एक क्लर्क को पांच लाख रुपए एडवांस कैसे दे दिया गया? इस सवाल पर ईओ परमिंदर सिंह गिल भी कुछ नहीं बोले। उधर, ट्रस्ट में चर्चा है कि उक्त पांच लाख रुपए से दो आईफोन खरीदे गए हैं, ये दोनों फोन अफसर को गिफ्ट किए गए हैं। एक फोन अफसर खुद चला रहा है, तो दूसरा फोन उक्त अफसर का बेटा यूज कर रहा है।

इस संबंध में एक शिकायत चीफ विजीलैंस अफसर राजीव सेखड़ी से की गई है। सेखड़ी ने कहा है कि शिकायत आई है, जिसकी जांच शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि सरकार धन के दुरुपयोग को लेकर क्लर्क, एकाउंटेंट और ईओ के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है

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