नई दिल्ली : बैंकों और कर्जदाता संस्थाओं के नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स यानी एनपीए भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा बोझ बनते जा रहे हैं। एनपीए यानी व्यक्ति या कंपनी कर्ज लेने के बाद बैंक को लौटाने में नाकाम होते हैं तो उसका लोन अकाउंट नॉन-परफॉर्मिंग एसेट कहलाता है। भारत में कुल एनपीए का 50 फीसदी हिस्सा यानी करीब साढ़े 4 लाख करोड़ रुपये की रकम टॉप 100 कर्ज लेने वालों के नाम पर बकाया है। एक अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट ने आरटीआई के जरिए यह जानकारी मिलने का दावा किया है।द वायर के मुताबिक, आरबीआई ने बताया है कि 31 दिसंबर 2018 तक शीर्ष 100 कर्ज लेने वालों की वजह से 4,46,158 करोड़ रुपये का एनपीए लंबित है। आसान शब्दों में कहें तो शीर्ष 100 उधार लेने वालों ने बैंकों के करीब 4.5 लाख करोड़ रुपए दबा रखे हैं। हालांकि, आरबीआई ने यह जानकारी देने से इनकार कर दिया है कि कर्ज लेने वाले ये शीर्ष 100 लोग कौन हैं। अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, 5 फरवरी 2019 को तत्कालीन वित्त मंत्री ने राज्यसभा में जानकारी दी थी कि 31 दिसंबर 2018 तक कमर्शियल बैंकों के एनपीए का आंकड़ा 10,09,286 करोड़ रुपये था। इनमें सरकारी बैंकों के एनपीए की हिस्सेदारी 8,64,433 करोड़ रुपये थी।बता दें कि 26 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा डिफॉल्टर्स की जानकारी सार्वजनिक करने से इनकार करने से जुड़े अवमानना नोटिस पर सुनवाई की थी। अदालत ने आरबीआई की आलोचना करते हुए उसे अपनी पारदर्शिता से जुड़े दिशा निर्देशों को बेहतर करने का आदेश दिया था। साथ ही इसकी जानकारी जनता को देने के लिए भी कहा था। अदालत ने कहा था कि यह आरबीआई के पास आखिरी मौका है और अगर बैंक अब भी जानकारी देने से इनकार करता है तो उसके खिलाफ अवमानना के केस में कार्रवाई की जाएगी।उधर, आरबीआई ने द वायर की ओर से दाखिल आरटीआई पर प्रतिक्रिया देते हुए 100 टॉप उधार लेने वालों की जानकारी देने से इनकार कर दिया। उधार लेने वालों के नाम, उनके ऊपर बकाया रकम या जिस ब्याज दर पर उन्होंने कर्ज लिया था, आदि की जानकारी मांगी गई थी। आरबीआई ने कहा कि इस तरह की जानकारी उपलब्ध नहीं है।

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