नई दिल्ली: पत्रकारों पर झूठी f.i.r. की घटनाएं आए दिन होती रहती है पत्रकारों द्वारा जब किसी भ्रष्ट अधिकारियों सरकारी कार्यों का कवरेज किया जाता है तो अधिकतर वह भ्रष्ट अफसर पत्रकार को चुनौती देकर झूठी f.i.r. करा देता है जिसकी वजह से पत्रकार को जेल भी जाना पड़ता है। देश भर में पत्रकारों के विरुद्ध काफी मामले सामने आ रहे हैं। जिसमें अधिकतर डॉक्टर भ्रष्ट अफसर नेता सहित अन्य रसूखदार लोग पत्रकारों का झूठी f.i.r. कर देते हैं जिसकी वजह से पत्रकार लोगों के सामने सच्चाई को उजागर नहीं कर पाते हैं ।इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अगर पत्रकार पर झूठा मुकदमा दर्ज किया जाता है तो उससे कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट की कार्रवाई मानी जाएगी।उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान के चौथे स्तंभ मीडिया को माना जाता है जिसके तहत मीडिया अपने पत्रकारों के माध्यम से समाज में फैली बुराइयों को जनता व देश के सामने लाने का काम करती है। लेकिन आजकल कुछ भ्रष्ट नेता बात कर जब कोई गलत कार्य भ्रष्टाचार में लिप्त रहता है तो उसे पत्रकार की कवरेज करके जनता के सामने लाता है लेकिन अधिकतर मामलों में यह भ्रष्ट नेता व सरकारी अफसर अपनी पावर का दुरुपयोग करके पत्रकार पर झूठा मुकदमा दर्ज करा देते हैं देशभर में कई शहरों में पत्रकारों की झूठी रिपोर्ट की घटना आए दिन सामने आती रहती है इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका दायर की गई थी जिसमें पत्रकारों पर हो रहे अत्याचार पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कहा था कि अगर पत्रकार को झूठी f.i.r. होती है तो उसे कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट की कार्रवाई मानी जाएगी वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि अगर कोई  नेता पत्रकारों के खिलाफ रिपोर्ट करता है तो उसे पूर्ण रूप से जांच में लिया जाए बिना जांच के f.i.r. कानून के विरुद्ध में माना जाएगा।

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