नागपुर से दिल्ली के लिए कड़ा संदेश आया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई सरकार को कड़ी नसीहत दे डाली है. एक तरफ केंद्रीय मंत्रिमंडल में विभागों का बंटवारा हो रहा था, दूसरी तरफ संघ प्रमुख मोहन भागवत सीधे सरकार से मुखातिब थे. भागवत ने मणिपुर में एक साल बाद भी शांति स्थापित नहीं होने पर चिंता जाहिर की. मोदी सरकार को नसीहत देते हुए भागवत ने कहा कि संघर्ष प्रभावित इस पूर्वोत्तर राज्य की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार किया जाना चाहिए. भागवत ने कहा कि विभिन्न स्थानों और समाज में संघर्ष अच्छा नहीं है. उन्होंने चुनावी बयानबाजी से बाहर आकर देश के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर जोर दिया. भागवत ने कहा, ‘मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहा है. दस साल पहले मणिपुर में शांति थी. ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है.’संघ प्रमुख ने कहा, ‘मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा. चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है.’ RSS प्रमुख ने कहा कि अशांति या तो भड़की या भड़काई गई, लेकिन मणिपुर जल रहा है और लोग इसकी तपिश का सामना कर रहे हैं.पिछले साल मई में मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी. तब से अब तक करीब 200 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि बड़े पैमाने पर आगजनी के बाद हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. इस आगजनी में मकान और सरकारी इमारतें जलकर खाक हो गई हैं. पिछले कुछ दिनों में जिरीबाम से ताजा हिंसा की सूचना आई है.लोकसभा चुनावों के बारे में भागवत ने कहा कि नतीजे आ चुके हैं और सरकार बन चुकी है, इसलिए ‘क्या और कैसे हुआ’ आदि पर अनावश्यक चर्चा से बचा जा सकता है. उन्होंने कहा कि RSS ‘कैसे हुआ, क्या हुआ’ जैसी चर्चाओं में शामिल नहीं होता है. भागवत ने कहा कि चुनाव बहुमत हासिल करने के लिए होते हैं और यह एक प्रतिस्पर्धा है, युद्ध नहीं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल और नेता एक-दूसरे की बुराई कर रहे हैं, लेकिन वे इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं कि इससे समुदायों के बीच दरार पैदा हो सकती है.

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