लखनऊ. लोकसभा चुनाव नतीजों से नाखुश मायावती ने सोमवार को अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने का आधिकारिक ऐलान किया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने लगातार तीन ट्वीट कर सपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बसपा ने प्रदेश में सपा सरकार के दौरान दलित विरोधी फैसलों को दरकिनार कर देशहित में पूरी तरह गठबंधन धर्म निभाया। नतीजों के बाद अब सपा का बर्ताव सोचने पर मजबूर करता है। सपा के साथ आगे चुनाव लड़कर भाजपा को हराना संभव नहीं है। मायावती ने 4 जून को भी उत्तर प्रदेश में अकेले उपचुनाव लड़ने की बात कही थी।
मायावती ने ट्वीट किया, ”जगजाहिर है कि हमने सपा के साथ गठबंधन के लिए सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाया। 2012-17 के दौरान उनकी सरकार में हुए बसपा और दलित विरोधी फैसलों और बिगड़ी कानून व्यवस्था को दरकिनार कर देशहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह निभाया।”मायावती ने कहा कि आमचुनाव के बाद सपा का व्यवहार बसपा को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके भाजपा को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है। इसलिए पार्टी और आंदोलन के हित में अब बसपा आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी।मायावती ने 5 महीने बाद ही समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया था। उन्होंने कहा था कि अखिलेश यादव अपनी पार्टी के हालात सुधारें। चुनाव में सपा का बेस यानी यादवों के वोट ही उन्हें (सपा को) नहीं मिले। खुद डिंपल यादव और उनके बड़े नेता चुनाव हार गए। यह चिंता का विषय है। तब मायावती ने उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर अकेले उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया था।
इस साल 12 जनवरी को सपा-बसपा ने गठबंधन करके लोकसभा चुनाव सथ लड़ने का ऐलान किया था। इससे पहले इन दोनों दलों में 26 साल पहले गठबंधन हुआ था। 1993 में भी दोनों दल साथ आए थे। उस समय बसपा की कमान कांशीराम के पास थी। सपा 256 और बसपा 164 विधानभा सीटों पर चुनाव लड़ी। सपा को 109 और बसपा को 67 सीटें मिली थीं। दो साल सरकार भी चली, लेकिन 2 जून 1995 के गेस्ट हाउस कांड के बाद गठबंधन टूट गया। तब लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस में मायावती की मौजूदगी में सपा समर्थकों ने बसपा विधायकों से मारपीट की थी।
बसपा और सपा ने लोकसभा चुनाव में यूपी में 38 व 37 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व राहुल गांधी व सोनिया गांधी के लिए अमेठी व रायबरेली सीट पर गठबंधन ने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। इसके अलावा रालोद के लिए मुजफ्फरनगर, मथुरा व बागपत सीट सपा ने अपने कोटे से छोड़ी थी। चुनाव में बसपा ने 10 सीट जीती तो सपा को पांच सीटें मिली। 2014 के चुनाव में बसपा को शून्य व सपा को पांच सीटें मिली थीं।