भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सुस्त होती अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ाने के लिहाज से एक बार फिर रेपो रेट में कटौती की है. गुरुवार को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती कर उसे 5.75 फीसदी कर दिया. इससे लोगों को लोन में ईएमआई घटने को लेकर उम्मीद बढ़ गई है. लेकिन पिछले वर्षों के ट्रेंड को देखें तो इस मामले में ज्यादा खुश होने की वजह नहीं बनती. रिजर्व बैंक तो ब्याज दरों में कटौती पर कटौती किए जा रहा है, लेकिन बैंक उसका पूरा फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचा रहे.

रेपो रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों तक न पहुंचा कर बैंकों ने पिछले पांच साल में घरेलू अर्थव्यवस्था का एक तरह से दम घोंट रखा है. लगातार ऊंची ब्याज दर होने की वजह से उद्योग जगत भी नए प्रोजेक्ट या पुराने प्लांट के विस्तार से हिचकता रहा है. सीएमआईई के अनुसार, देश में निजी निवेश 14 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. ऊंची ब्याज दर का सीधा असर ऑटोमोबाइल, कंज्यूमर ड्यूरेबल और एफएमजीसी उत्पादों की खपत पर भी पड़ रहा है. इसकी वजह से देश में खपत का इंजन ठप पड़ा है.

जनवरी, 2014 में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में बढ़त के सिलसिले को पलटते हुए रेपो रेट में कटौती की थी. इसके बाद से रिजर्व बैंक 10 बार रेपो रेट में कटौती कर चुका है और इसमें कुल मिलाकर 2.25 फीसदी तक कमी आ चुकी है. 2014 के 8 फीसदी से रेपो रेट घटकर अब 5.75 फीसदी तक आ चुका है.

दूसरी तरफ, देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने इस बीच अपने कर्ज की ब्याज दर में सिर्फ 0.6 फीसदी की कटौती की है और यह 10.15 फीसदी से घटकर 9.55 फीसदी तक पहुंचा है.

इस तरह की नाफरमानी अभूतपूर्व है. लेकिन वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक की इस पर मौन सहमति ही दिख रही है. बैंकों का तर्क रहता है कि रेपो रेट कटौती का फायदा ग्राहकों और उद्योग तक पहुंचाने के पहले उन्हें ऊंचे ब्याज दर वाले जमा योजनाओं का समायोजन करना है. लेकिन उन्हें अपने लोन पोर्टफोलियो को समायोजित करने के लिए 5 साल मिल चुके हैं. इसके लिए अब कोई बहाना नहीं बचता है.

गौरतलब है कि गुरुवार को आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती हुई है. इसके अलावा रिजर्व बैंक ने एनईएफटी जैसे मनी ट्रांसफर सुविधा में अपनी तरफ से लगने वाले चार्ज में कटौती कर भी बड़ी राहत दी है. रिजर्व बैंक ने एटीएम निकासी पर लगने वाले फीस की भी समीक्षा करने का भी निर्णय लिया है.

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