दिल्ली में बीजेपी की चल रही राष्ट्रीय अधिवेशन की बैठक का आज दूसरा दिन है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा, ‘इस अधिवेशन के बाद 2047 का भारत कैसा होगा इसका PM मोदी का संदेश लेकर हम हर चुनाव क्षेत्र में जाएंगे। पूरे देश में कही संशय नहीं है, देश ने तय किया है कि PM मोदी ही फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे।’ शाह ने कहा, ”75 साल में इस देश ने 17 लोकसभा चुनाव, 22 सरकारें, 15 प्रधानमंत्री देखें हैं। देश में जितनी सरकारें आईं सबने समयानुकूल विकास करने का काम किया लेकिन समग्रता से हर क्षेत्र का, हर व्यक्ति का विकास सिर्फ PM मोदी के 10 साल के कार्यकाल में हुआ है।”
केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “इनकी राजनीति में उद्देश्य क्या है? PM मोदी आत्मनिर्भर भारत, 2047 के भारत का लक्ष्य रखते हैं। सोनिया गांधी का लक्ष्य राहुल गांधी को PM बनाना, पवार साहब का लक्ष्य बेटी को CM बनाना, ममता दीदी का लक्ष्य भतीजे को CM बनाना, स्टालिन का लक्ष्य बेटे को CM बनाना, लालू यादव का लक्ष्य बेटे को CM बनाना, उद्धव ठाकरे का लक्ष्य बेटे को CM बनाना और मुलायम सिंह यादव तो बेटे को CM बनाकर ही गए। जिनका लक्ष्य परिवार के लिए सत्ता हथियाना हो वह क्या गरीब का कल्याण करेगा?”
शाह ने कहा कि, “इस देश में 2G, 3G और 4G पार्टियां है। 2G का मतलब घोटाला नहीं है। 2G का मतलब 2 जेनरेशन पार्टी… 4 पीढ़ी तक इनका नेता नहीं बदलता… अगर कोई आगे बढ़ गया तो ये उसका हश्र कर देते हैं, कई सारे ऐसे हश्र किए हुए लोग आज भाजपा में शामिल होकर लोकतंत्र की यात्रा में जुड़े हैं।” शाह ने कहा कि मैं आज यहां से कांग्रेस को चेतावनी देना चाहता हूं कि आप रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को ठुकरा कर केवल इस ऐतिहासिक पल का हिस्सेदार बनने से ही नहीं कतराएं हैं, बल्कि आपने देश को महान बनाने की प्रक्रिया से खुद को दूर कर लिया है। देश की जनता ये देख भी रही है और याद भी रख रही है
केंद्रीय गृह मंत्री ने विदेश नीति का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “विदेश नीतियों के क्षेत्र में यह गलत धारणा थी कि अगर आप दुनिया से दोस्ती करना चाहते हैं, तो आपको राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करना होगा। कई नेताओं को यह तय करने में संघर्ष करना पड़ा कि किस प्राथमिकता को बरकरार रखा जाए। बिना किसी हिचकिचाहट के, मोदी जी ने तय किया कि भारत की सुरक्षा से ऊपर कुछ भी नहीं है और राष्ट्रीय सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाकर उन्होंने भारत को ‘विश्वामित्र’ बनाने का प्रयास किया और सभी के मन में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना पैदा की, जिससे सभी को यह महसूस हुआ कि दुनिया एक है।