जालंधर, 17 अप्रैल :- सेंट सोल्जर डिवाइन पब्लिक स्कूल द्वारा विश्व विरासत
दिवस मनाया गया। इस मौके पर छात्रों ने घरों से पुरानी ऐतिहासिक इमारतों के
पोस्टर्स बना कर उनके महत्व तथा उन को संभालने का संदेश दिया। डायरेक्टर
इंदर कुमार के निर्देशन में आयोजित आनलाइन कार्यक्रम दौरान प्रिंसिपल सतविंदर
कौर ने छात्रों को बताया कि विश्व विरासत दिवस पहली बार 18 अप्रैल, 1982 को
ट्यूनीशिया में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स द्वारा मनाया
गया था। इससे पहले यह दिवस विश्व स्मारक तथा पुरातत्व स्थल दिवस के रुप
में मनाया जाता था। सभी पुरानी विरासतों की देख रेख के लिए यूनेस्को वल्र्ड
हेरिटेज सेंटरज की स्थापना हुई। सबसे पहले 18 अप्रैल, 1978 ई. में पहले विश्व के
कुल 12 स्थलों को विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया गया। इसके
बाद वर्ष 18 अप्रैल 1983 में पहली बार भारत के चार ऐतिहासिक स्थलों को
यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल के रूप में शामिल किया। ये चार स्थल थे –
ताजमहल, आगरा का कि़ला, अजंता और एलोरा की गुफाएं। इस समय लगभग 43
स्थलों को विश्व विरासत की सूची में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि यह
हेरिटेज हमारे देश की धरोहर हैं, जिसे संभालना हमारी मौलिक जिम्मेंदारी है।
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