नई दिल्ली: भारत में सड़क हादसों में मरने वालों की तादाद चौंकाने वाली है। सरकार की ओर से संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक, 2015 से 2017 के दौरान हर साल 1.46 लाख से 1.5 लाख के बीच लोगों की मौत हुई। यानी रोजाना की औसत की बात करें तो इन तीन सालों में हर दिन 400 या उससे ज्यादा लोगों की मौत की वजह सड़क दुर्घटनाएं बनीं। नैशनल हाइवे और एक्सप्रेसवे पर दुर्घटनाओं में होने वाले मौतों के संदर्भ में सरकार से जानकारी मांगी गई थी। इसके जवाब में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सदन में विस्तृत जानकारी पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें नैशनल हाइवे और एक्सप्रेसवे समेत सभी सड़कों के डेटा को समाहित किया गया है।मंत्रालय ने राज्यवार डेटा भी पेश किया है। इसके मुताबिक, इन तीन सालों में सबसे ज्यादा सड़क हादसों में मौत उत्तर प्रदेश में हुई। इसके बाद, तमिलनाडु का नंबर आता है। 2016 और 2017 में सिर्फ इन दो राज्यों में हुई सड़क हादसों में मौत का आंकड़ा सभी मौतों का करीब 25 फीसदी है। आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में हर रोज दुर्घटनाओं में मौत की बात करें तो यूपी में 55, तमिलनाडु में 44, महाराष्ट्र में 33, कर्नाटक में 29, राजस्थान में 29, एमपी में 28, आंध्र प्रदेश में 22, तेलंगाना में 18, पश्चिम बंगाल में 16 और बिहार में 15 मौतें हुईं। सड़क हादसों में हिमाचल प्रदेश भी पीछे नहीं है। स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत एक एनजीओ की रिपोर्ट की मानें तो बीते दस सालों में यहां 65766 से अधिक लोग दुर्घटनाओं में घायल और मौत का शिकार हुए हैं। वहीं, देश भर में हो रहे हादसों को लेकर सरकार भी चिंतित है। नियम कायदों को कड़ा किया जा रहा है। हाल ही में दोपहिया वाहनों के लिए एक नया नियम लागू किया गया। इसके तहत अब नए वाहन खरीदने वालों को पहले दो हेलमेट खरीदने होंगे, इसके बाद ही वह अपनी बाइक या स्कूटर का रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। यूपी के नोएडा में हाल ही में एक नियम लागू किया गया, जिसके मुताबिक सिर्फ हेल्मेट पहने बाइक सवारों को ही पेट्रोल पंप पर पेट्रोल मिलेगा।

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