दिल्ली: देश में राष्ट्रीय डिजिटल विश्वविद्यालय के गठन की दिशा में एक बड़ा कदम अंतिम चरण में है। इस वर्ष के अंत तक इसे अस्तित्व में आने का इंतजार है। केंद्र सरकार ने इस महत्वपूर्ण पहल के लिए विशेष आवंटन किया है, जिससे इस विश्वविद्यालय के गठन, इंफ्रास्ट्रक्चर और शैक्षणिक सामग्री को तैयार करने में मदद मिलेगी। सरकार द्वारा 2022 में इस प्रस्ताव की घोषणा के बाद, 2023-24 के बजट में उसे बढ़ावा देने के लिए सिर्फ चार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इस बीच, विश्वविद्यालय के गठन से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी की गई हैं और उसका ढांचा भी तैयार है।इसमें विभिन्न कोर्स शामिल होंगे, जो केंद्रीय विश्वविद्यालय और देश के अन्य शीर्ष उच्च शिक्षा संस्थानों से जुड़े हुए हैं। इस उच्चस्तरीय कमेटी में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पदेन सचिव, उच्च शिक्षा सचिव, दो कुलपति, और दो शिक्षाविद्याओं को शामिल किया जाएगा। नए आवंटन के बाद, इस विश्वविद्यालय के गठन में तेजी आएगी, जिसमें प्रशासनिक भवन और तकनीकी सुविधाएं शामिल होंगी। डिजिटल यूनिवर्सिटी के होने से बड़े कैंपस की जरूरत नहीं होगी, जिससे शिक्षा का स्तर भी उच्च रहेगा।उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विदेशों में छात्रों के पलायन को रोकने के लिए सरकार ने उच्च शिक्षा संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए 18 सौ करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। यह पिछले साल के बजट के मुकाबले पांच सौ करोड़ रुपये अधिक है। संस्थानों को यह मदद मिलने वाली नियमित मदद से अलग है। शिक्षा मंत्रालय का पूरा जोर इस बात पर है कि वह देश के उच्च शिक्षण संस्थान भी दुनिया के शीर्ष सौ सस्थानों की रैंकिंग में जगह बनाएं। उच्च शिक्षण संस्थानों के अपग्रेडेशन के लिए भी पीएम उच्चतर शिक्षा अभियान की शुरूआत की गई है। इसमें पहली बार 1814 करोड़ की राशि आवंटित की गई है। यह कदम उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है।

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