जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के बंद का असर अमरनाथ यात्रा पर देखने को मिला है. अलगाववादियों के बंद के कारण एक दिन के लिए अमरनाथ यात्रा रोक दी गई. इसके कारण अमरनाथ यात्रा का जत्था आगे नहीं जा सकेगा. यात्रियों को शनिवार को जम्मू-कश्मीर में नहीं जाने दिया गया. कश्मीर में अलगाववादियों ने एक दिन का बंद बुलाया है.

वहीं, अलगाववादियों के बंद के आवाह्न को देखते हुए सुरक्षा बल अलर्ट पर है. घाटी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. सुरक्षा बल चप्पे चप्पे पर नजर बनाए हुए हैं. इससे पहले, 8 जुलाई को हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की बरसी पर अलगाववादियों ने विरोध प्रदर्शन के कारण अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों के जत्थे को भी रवाना होने से रोक दिया गया था.

बता दें कि आतंकी बुरहान वानी अपने दो साथियों के साथ 8 जुलाई, 2016 को अनंतनाग जिले के कोकेरनाग इलाके में सुरक्षा बलों के साथ एक मुठभेड़ में मारा गया था.

इसी बीच, अमरनाथ यात्रा पर सियासी होती हुई भी देखी गई. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि चल रही अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था कश्मीर के लोगों के विरुद्ध है. उन्होंने कहा था कि सालाना यात्रा के लिए सुरक्षा के प्रबंधों से कश्मीर के लोगों को असुविधा हो रही है.

गौरतलब है कि अमरनाथ यात्रा के लिए शुक्रवार को जम्मू से 5,395 श्रद्धालुओं का एक और जत्था रवाना हुआ. इस साल एक जुलाई से यात्रा शुरू होने के बाद से 12 जुलाई तक 1.44 लाख से अधिक श्रद्धालु समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊपर स्थित बाबा बफार्नी के दर्शन कर चुके हैं. अधिकारियों ने कहा कि एक जुलाई को यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 11 दिनों में 1,44,058 श्रद्धालुओं ने पवित्र शिवलिंग के दर्शन कर लिए हैं.

श्रद्धालुओं के अनुसार, अमरनाथ गुफा में बर्फ की विशाल संरचना बनती है जो भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों की प्रतीक है. तीर्थयात्री पवित्र गुफा तक जाने के लिए या तो अपेक्षाकृत छोटे 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से जाते हैं या 45 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग से जाते हैं. दोनों आधार शिविरों पर हालांकि तीर्थ यात्रियों के लिए हैलीकॉप्टर की सेवाएं हैं.

बर्फ की आकृति चंद्रमा की गति के साथ-साथ अपनी संरचना बदलती है. पवित्र गुफा की खोज सन 1850 में एक मुस्लिम चरवाहा बूटा मलिक ने की थी. किवदंतियों के अनुसार, एक सूफी संत ने चरवाहे को कोयले से भरा एक बैग दिया था, बाद में कोयला सोने में बदल गया था. लगभग 150 सालों से चरवाहे के वंशजों को पवित्र गुफा पर आने वाले चड़ावे का कुछ भाग दिया जाता है. इस साल 45 दिवसीय अमरनाथ यात्रा का समापन 15 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ होगा.

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