
दिल्ली: जब देश की सीमाएं खतरे में हों और आसमान से मिसाइलें या ड्रोन हमला करें, तब सिर्फ सैनिकों का हौसला नहीं बल्कि तकनीक भी दुश्मन को जवाब देती है। हाल ही में भारत पर हुए ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिशों को भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने नाकाम कर दिया। इसमें सबसे अहम भूमिका निभाई रूस से हासिल की गई अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली S-400 ट्रायम्फ ने। भारत की हवाई सुरक्षा अब और मजबूत होने की दिशा में बढ़ रही है। रूस से मिले अत्याधुनिक S-400 ट्रायम्फ सिस्टम की तैनाती के बाद अब भारत की नजर उससे भी एक कदम आगे की तकनीक पर है S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम। रूस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया मास्को यात्रा के दौरान इस नई पीढ़ी की वायु रक्षा प्रणाली के संयुक्त उत्पादन का प्रस्ताव दोबारा रखा है। अगर यह समझौता होता है तो भारत न केवल अपनी सीमाओं को और सुरक्षित कर सकेगा, बल्कि अत्याधुनिक रक्षा तकनीक के निर्माण में भी आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाएगा।S-400 ट्रायम्फ रूस द्वारा विकसित एक मोबाइल सरफेस-टू-एयर डिफेंस सिस्टम है। इसे साल 2007 में रूस ने पहली बार अपनी सेना में शामिल किया था। यह प्रणाली विमान, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और यहां तक कि बैलिस्टिक मिसाइल जैसे हवाई खतरों को 400 किलोमीटर दूर से पहचान सकती है और उन्हें मार गिरा सकती है। भारत ने इस प्रणाली को ‘सुदर्शन चक्र’ नाम दिया है, जो अपने आप में एक संकेत है कि यह कितनी घातक और बहुस्तरीय सुरक्षा प्रदान करती है