जालंधर: ( संजय कालिया)

कश्मीर में चुन-चुन कर नाम पूछ-पूछ कर सनातनी हिन्दुओं का नरसंहार देखकर भी क्या कोई यह कहेगा कि आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं होता? कथित सेक्युलर, वस्तुतः सनातनी हिंदू-विरोधी अर्थात् राष्ट्रद्रोही किसी आतंकवादी की मृत्यु पर तो छाती पीट-पीट कर रोते हैं, वे आज कहाँ पर छुपे हैं? जब तक आतंकवाद एवं राष्ट्रविरोधी विचारधारा के पोषकों को समूल नष्ट नहीं किया जाएगा, तब तक यह खूनी ताण्डव बन्द नहीं हो पाएगा।

आज सबकी परीक्षा की घड़ी है कि कौन भारत के भविष्य को दूर तक देखने की क्षमता रखता है और कौन अपनी घृणित मानसिकता में ही जकड़े रहता है। भारत विभाजन के समय मुसलमानों के लिए पाकिस्तान एवं हिन्दुओं के लिए भारत दिया था। पाकिस्तान में हिन्दुओं के नरसंहार पर तो राष्ट्रद्रोही कथित सेक्युलर मौन रहे, अब तो भारत में भी हिन्दुओं का नरसंहार हो रहा है और इस पर भी सेक्युलर, जो कहने को अधिकांश हिन्दू ही हैं, मौन है। इन लोगों ने हिन्दुओं को जाति, भाषा, क्षेत्र, लिंग में बाँट दिया। क्या हिन्दू केवल मरने के लिए ही हैं?

परमपिता परमात्मा सभी दिवंगत आत्माओं को शान्ति प्रदान करे और मृतप्राय भारतीयों में प्रखर राष्ट्रीयता और एकता का संचार करे।

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