जालंधर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मा पिंड चौक जालंधर में मां बगलामुखी जी के निमित्त श्रृंखलाबद्ध सप्ताहिक दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणों द्वारा मुख्य यजमान रितु एवं मनमोहन भट्टी से पंचोपचार पूजन, षोढषोपचार पूजन, नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।
हवन-यज्ञ में पूर्ण आहुति उपरांत आए हुए भक्तजनों से अपनी बात कहते हुए सिद्ध मां बगलामुखी धाम के संस्थापक एवं संचालक नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ पर उपस्थित मां भक्तों आत्मा और परमात्मा के बारे में ब्याखान किया कि आत्मा के स्वरूप को समझना आत्मज्ञान है, अंग्रेजी में इसे सेल्फ रिलाइजेशन कहा गया है आत्मज्ञान के अभाव के कारण व्यक्ति इस संसार में राग, द्वेष, क्लेश के कारण दु:खों को प्राप्त करता है। समझदार व्यक्ति आत्मज्ञान प्राप्त कर इस जन्म के साथ अपने अगले जन्म को सुधार कर मोक्ष प्राप्त करता है। मनुष्य जन्म की सार्थकता इसी में है कि वह समय रहते इस सत्य से अवगत हो जाए कि जन्म लेने के बाद उसका अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है। धर्म शास्त्रों में मानव शरीर के विषय में कहा गया है कि यह भवसागर को पार ले जाने के लिए एक नौका समान है, इस देह में जो जीवात्मा का निवास होता है, वह परमात्मा से जुड़ी हुई है, आत्मा को पहचाना ही आत्मदर्शन है।
‘परमात्मा’, आत्मा का परम रूप-साधारण इंसान परमात्मा को अपने से अलग समझता है, परन्तु आत्मा और परमात्मा अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही परम तत्व के दो नाम हैं, अंतर सिर्फ इतना है कि ‘परमात्मा’, आत्मा का परम रूप है। ‘परम’ का अर्थ है, संपूर्ण या विराट। आत्मा और परमात्मा को हम जल की एक बूंद और अथाह समुद्र के रूप में समझ सकते हैं। आत्मा उस परम तत्व की एक बूंद और परमात्मा उस परम तत्व का अनंत लहराता समुद्र है। आत्मा, परमात्मा और शरीर के संबंध को समझाने के लिए धर्मशास्त्रों में अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं। मानव शरीर एक घड़े के समान है, इसके अंदर आत्मा उसी प्रकार से विद्यमान है, जैसे घड़े के अन्दर समाया हुआ विराट सागर। एक घड़ा लेकर जब हम उस घड़े में सागर से पानी भरेंगे तो घड़े के अंदर समाए जल को ही हम आत्मा कहेंगे और इसके बाहर स्थित अथाह समुद्र को परमात्मा। परमात्मा का अंश आत्मा, शरीर रूपी घड़े के अन्दर उसी प्रकार से विद्यमान है जैसे अनन्त समुद्र की कुछ बूंदों को घड़े के अन्दर भरा हो। इस दृष्टांत को समझने के लिए नवजीत भारद्वाज जी ने कबीरदास जी का एक दोहे का अनुसरण किया कि
जल में कुंभ, कुंभ में जल है, बाहर भीतर पानी।
फूटा कुंभ, जल जलहि समाना, यह तथ कहौ गियानी।।
अर्थात्:-अपने शरीर को यदि हम एक घड़ा मान लें, तो हमारी इन्द्रियां, मन एवं अहंकार उसकी मोटी दीवारें हैं। जिस क्षण किसी भी कारण से घड़े की दीवार टूट जाती है, उसी समय मनुष्य की आत्मा परम तत्व में विलीन हो जाती है। संसार में जो कुछ भी है, चाहे वो सूक्ष्म हो या स्थूल, सब परमात्मा ही है। परमात्मा रूपी ऊर्जा के बिना ब्रह्माण्ड का संचालन असंभव है। पूरे ब्रह्माण्ड को एक ही ऊर्जा चला रही है।
सुबह हवन-यज्ञ के समय भारी बरसात के बावजूद भक्तों की मां बगलामुखी जी के प्रति लगन कम नहीं हो सकी भारी संख्या में भक्तजनों ने हवन-यज्ञ में सम्मिलित होकर यज्ञ में हविगया डाली।
इस अवसर पर बंटू सभरवाल,विशु सभरवाल,नीरज सभरवाल,पूनम प्रभाकर,सरोज बाला, रुपम प्रभाकर,सुनीता, अंजू, गुरवीर, प्रिती ,मंजू, प्रिया , रजनी, सोनीया,नरेश,कोमल , कमलजीत, धर्मपालसिंह, अमरजीत सिंह, राकेश प्रभाकर, समीर कपूर, अमरेंद्र कुमार शर्मा, नवदीप, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र,रोहित भाटिया, अमरेंद्र सिंह, नवीन, प्रदीप, सुधीर, सुमीत, बावा हलचल ,जोगिंदर सिंह, मनीष शर्मा, डॉ गुप्ता,सुक्खा अमनदीप , अवतार सैनी, डॉ परमजीत सिंह,ऐडवोकेट राज कुमार,गौरी केतन शर्मा,सौरभ , नरेश,अजय शर्मा,दीपक , इंजिनियर किशोर,प्रदीप , प्रवीण,राजू, सोनू छाबड़ा, गुलशन शर्मा,संजीव शर्मा, ऐडवोकेट भाटिया,मुकेश, रजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा, ऐडवोकेट शर्मा,वरुण, नितिश, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, रोहित , मोहित , विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, सुनील जग्गी, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर,दीपक, प्रिंस कुमार, पप्पू ठाकुर, बलदेव सिंह भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।
हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।

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