इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में दो प्रतिष्ठित शिक्षा विशेषज्ञों, डॉ. डी. पार्थसारथी, जो आईआईटी मुंबई में लिबरल आर्ट्स के प्रोफेसर हैं, और डॉ. स्वर्णलता, इतिहास में पोस्ट-डॉक्टरेट और धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल की संस्थापक सदस्य, द्वारा एक विचारोत्तेजक अतिथि व्याख्यान आयोजित किया गया। यह व्याख्यान शिक्षा के नवीनतम रुझानों, जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौती और अंतरराष्ट्रीय बैकलॉरियट (IB) पाठ्यक्रम पर केंद्रित था।
इस सत्र में डॉ. संजय कुमार बहल, उपकुलपति, डॉ. जगदेव सिंह राणा, रजिस्ट्रार, और विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक और स्टाफ सदस्य उपस्थित थे। यह व्याख्यान विश्वविद्यालय के शिक्षकों के लिए शिक्षा के आधुनिक दृष्टिकोण को समझने और छात्रों के लिए प्रभावी तरीके से सीखने के अवसर प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण अवसर था।
डॉ. डी. पार्थसारथी ने शिक्षा के विकासशील स्वरूप पर एक विचारशील चर्चा की, जिसमें उन्होंने कहा कि आज के छात्रों को केवल विषयगत ज्ञान नहीं, बल्कि उनके आसपास के वैश्विक मुद्दों को समझने और उनका समाधान करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने इंटरडिसिप्लिनरी लर्निंग की आवश्यकता पर जोर दिया, जहां छात्र विभिन्न विषयों में अपनी समझ को एक साथ जोड़ते हैं और जटिल समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं।
“आज की दुनिया में केवल शैक्षिक उत्कृष्टता ही नहीं, बल्कि वह मानसिकता भी महत्वपूर्ण है जो जलवायु परिवर्तन और स्थिरता जैसे वैश्विक मुद्दों का समाधान कर सके,” डॉ. पार्थसारथी ने कहा।
डॉ. स्वर्णलता ने जलवायु परिवर्तन को न केवल एक वैज्ञानिक या राजनीतिक मुद्दा, बल्कि एक केंद्रीय शैक्षिक विषय के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने यह बताया कि जलवायु परिवर्तन की समझ को पाठ्यक्रम में शामिल करना बेहद जरूरी है, जिससे छात्र इसके ऐतिहासिक कारणों, वर्तमान प्रभावों और भविष्य के परिणामों को बेहतर तरीके से समझ सकें।
“शिक्षा का मुख्य उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं है, बल्कि छात्रों को उनके परिवेश से जुड़ी समस्याओं के समाधान में सक्षम बनाना भी है,” डॉ. स्वर्णलता ने कहा।
व्याख्यान के बाद, दोनों विद्वानों ने अंतरराष्ट्रीय बैकलॉरियट (IB) पाठ्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला, जो वैश्विक नागरिकता, अंतर-सांस्कृतिक समझ और छात्रों को वास्तविक दुनिया की चुनौतियों से जोड़ने पर जोर देता है। उन्होंने बताया कि IB पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को वैश्विक दृष्टिकोण और स्थानीय क्रियावली के बीच संतुलन बनाने की क्षमता प्रदान करना है, जो जलवायु परिवर्तन और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे मुद्दों के समाधान के लिए आवश्यक है।
“इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों के लिए IB पाठ्यक्रम के सर्वोत्तम पहलुओं को अपनाना और अनुकूलित करना शिक्षा के अनुभव को और अधिक समृद्ध बना सकता है,” डॉ. पार्थसारथी ने कहा। “यह छात्रों को न केवल अकादमिक सफलता प्राप्त करने के लिए, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी को समझने के लिए भी तैयार करता है।”
इस अतिथि व्याख्यान ने इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के शिक्षकों के लिए बहुत सारे नए विचार और दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। डॉ. संजय कुमार बहल, उपकुलपति ने इस अवसर पर सभी अतिथियों का धन्यवाद किया और बताया कि यह व्याख्यान विश्वविद्यालय के शिक्षण दृष्टिकोण को वैश्विक शिक्षा के मानकों से जोड़े रखने में सहायक होगा।
“डॉ. पार्थसारथी और डॉ. स्वर्णलता द्वारा साझा किए गए विचार अत्यधिक प्रेरणादायक थे,” डॉ. बहल ने कहा। “इंडस में, हम हमेशा अपनी शैक्षिक पद्धतियों को अपडेट करने की कोशिश करते रहते हैं, और यह व्याख्यान इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। शिक्षा का भविष्य वैश्विक दृष्टिकोण, अंतरविषयक शिक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने में निहित है।”
डॉ. जगदेव सिंह राणा, रजिस्ट्रार ने भी इस व्याख्यान की महत्ता को रेखांकित किया, और कहा कि यह इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के शिक्षा मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है, जिससे छात्रों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया जा सके।
इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी का यह अतिथि व्याख्यान शिक्षा के क्षेत्र में नए और विचारशील दृष्टिकोणों को प्रस्तुत करता है, जो शिक्षकों और छात्रों के लिए भविष्य की दिशा तय करने में मदद करेगा। इन विचारों के साथ, विश्वविद्यालय अपने शैक्षिक कार्यक्रमों को और बेहतर बनाने के लिए तैयार है और छात्रों को वैश्विक, स्थायी और जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में और अधिक कदम बढ़ाएगा।
Disclaimer : यह खबर उदयदर्पण न्यूज़ को सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई है। उदयदर्पण न्यूज़ इस खबर की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं करता है। यदि इस खबर से किसी व्यक्ति अथवा वर्ग को आपत्ति है, तो वह हमें संपर्क कर सकते हैं।