
इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के जीवंत परिसर में एक बहुत ही रोमांचक भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता का आयोजन श्री जतिन कांडपाल और श्री मोहन सिंह ने किया, जिसमें विभिन्न विषयों पर प्रतिभागियों ने अपने विचारों को प्रस्तुत किया। प्रतियोगिता में पाँच विविध विषय शामिल थे: भविष्य के लिए AI वरदान या अभिशाप, जलवायु परिवर्तन-एक चेतावनी जिसे हम नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते, विकसित भारत@2047-राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका, सोशल मीडिया – जुड़ने या ध्यान भटकाने का एक साधन और मानसिक स्वास्थ्य मामले। प्रत्येक प्रतिभागी ने अपनी रचनात्मकता और भाषण कौशल का प्रदर्शन किया, जिससे यह कार्यक्रम ज्ञानवर्धक और आकर्षक बन गया।
प्रतियोगिता में, जिसमें बी.एस.सी. गणित का छात्र श्री राहुल ने पहला पुरस्कार जीता, जबकि बीसीए की छात्रा सुश्री तरनजीत कौर ने दूसरा स्थान साझा किया। तीसरे स्थान पर बी फार्मेसी की छात्रा सुहानी ने साझा किया। उनके प्रभावशाली भाषणों ने न केवल दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया, बल्कि साथियों के बीच महत्वपूर्ण चर्चाओं को भी जन्म दिया।
कार्यक्रम में उपकुलपति डॉ. संजय कुमार बहल और रजिस्ट्रार डॉ. जगदेव सिंह राणा ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। डॉ. बहल ने प्रतिभागियों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि सार्वजनिक बोलने की कला आत्मविश्वास और स्पष्टता को विकसित करने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “इस तरह के आयोजनों में भाग लेना आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देता है और संचार कौशल को निखारता है, जो आज की प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में सफलता के लिए आवश्यक हैं।” डॉ. राणा ने भी इन विचारों को साझा करते हुए छात्रों को अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
भाषण प्रतियोगिता ने छात्रों के लिए एक अमूल्य अनुभव प्रदान किया, जिससे उनके सार्वजनिक बोलने की क्षमताएं बढ़ीं, आत्मविश्वास में वृद्धि हुई, और सामुदायिक भावना का विकास हुआ। ऐसे कार्यक्रम न केवल प्रतिभागियों के संचार कौशल को निखारते हैं, बल्कि आलोचनात्मक सोच और रचनात्मकता को भी प्रोत्साहित करते हैं, जो उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करता है।
जैसे ही कार्यक्रम का समापन हुआ, यह स्पष्ट था कि अभिव्यक्ति और सहयोग की भावना ने प्रतिभागियों और दर्शकों पर स्थायी प्रभाव छोड़ा है, जिससे इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में भविष्य की प्रतियोगिताओं के लिए एक मिसाल कायम हुई है