इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में छात्रों और स्टाफ सदस्यों को आपातकालीन स्थितियों के प्रति जागरूक और तैयार करने के उद्देश्य से एक विशेष सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल और जागरूकता व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का नेतृत्व सुबेदार बलबीर सिंह (सेवानिवृत्त सैनिक) और श्री गौरव जसवाल ने किया, जो कुलपति डॉ. संजय कुमार बहल और कुलसचिव डॉ. जगदेव सिंह राणा के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को सिखाया गया कि सिविल डिफेंस का क्या महत्व है। सिविल डिफेंस एक संगठित नागरिक प्रयास है, जिसका उद्देश्य युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप और आग लगने की स्थिति में आम जनता को सुरक्षा उपायों की जानकारी देना होता है। युद्ध के समय यह बेहद आवश्यक होता है क्योंकि इससे न केवल जनहानि को कम किया जा सकता है, बल्कि आमजन में घबराहट और अव्यवस्था से भी बचा जा सकता है।
कार्यक्रम में बताया गया कि सिविल डिफेंस के मुख्य उद्देश्य हैं – जनता को संकट की स्थिति में सुरक्षित रहने के लिए प्रशिक्षित करना, आपातकालीन निकासी प्रक्रिया को सुचारु बनाना, महत्वपूर्ण संसाधनों की सुरक्षा करना और सामाजिक मनोबल बनाए रखना। छात्रों को यह भी बताया गया कि युद्ध के दौरान हवाई हमलों, रासायनिक और जैविक हमलों, बिजली और जल आपूर्ति में बाधा जैसी कई स्थितियों के लिए सिविल डिफेंस तैयार करता है।
पूर्व-संघर्ष तैयारी के अंतर्गत छात्रों को आपातकालीन योजना बनाना, घर पर सुरक्षा की तैयारी करना, और आवश्यक वस्तुओं का किट तैयार रखना सिखाया गया, जिसमें भोजन, पानी, टॉर्च, प्राथमिक चिकित्सा सामग्री आदि शामिल हैं।
कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था – युद्ध या हमले के दौरान क्या करना चाहिए। छात्रों को ब्लैकआउट प्रक्रिया के बारे में बताया गया, जिसमें रात के समय सभी रोशनी बंद कर दी जाती है ताकि दुश्मन के विमान उन्हें निशाना न बना सकें। जब हवाई हमले का सायरन बजता है, तो समय का बहुत महत्व होता है। तुरंत शरण लेना आवश्यक होता है – सबसे सुरक्षित जगहें होती हैं भूमिगत स्थान जैसे बेसमेंट, मेट्रो स्टेशन या बंकर। यदि कोई शरण स्थल पास में न हो, तो जमीन पर उल्टा लेट जाना चाहिए, सिर को हाथों या बैग से ढंक लेना चाहिए, और कांच, स्ट्रीट लाइट या किसी भी ऊँची संरचना से दूर रहना चाहिए ताकि गिरने या टूटने से बचा जा सके। खिड़कियों, बालकनी, छतों या खुले क्षेत्रों से बचने की सलाह दी गई। साथ ही, छात्रों को यह भी बताया गया कि आपातकाल में लिफ्ट का प्रयोग न करें – केवल सीढ़ियों का ही इस्तेमाल करें।
इस दौरान सामुदायिक जिम्मेदारियों पर भी प्रकाश डाला गया – जैसे एक-दूसरे की मदद करना, शांति बनाए रखना, और प्रशासन के निर्देशों का पालन करना।
कुलपति डॉ. संजय कुमार बहल ने इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन के प्रति जिम्मेदार और सजग नागरिक बनाती हैं। कुलसचिव डॉ. जगदेव सिंह राणा ने कहा कि आज के वैश्विक अस्थिर माहौल में ऐसी तैयारियाँ अत्यंत आवश्यक हैं।
कार्यक्रम का समापन छात्रों और प्रशिक्षकों के बीच संवाद सत्र के साथ हुआ, जिसमें छात्रों ने गहन रुचि और उत्साह के साथ भाग लिया। यह आयोजन न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि हर छात्र और कर्मचारी को आपातकालीन परिस्थितियों का सामना करने के लिए आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी भी बनाया।

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