
आज यहां पीएयू परिसर में ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गनाइजेशन की 33वीं दो दिवसीय शैक्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया गया, जिसे देशभर के प्रमुख शिक्षाविदों ने भव्य रूप से संबोधित किया। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करने पहुंचे प्रमुख शिक्षाविद डॉ. सरदार सिंह जोहल ने अपने संबोधन में अपनी सारी उपलब्धियों का श्रेय शिक्षकों को देते हुए कहा कि देश के समग्र विकास के लिए हमें शिक्षक की चयन करते समय धार्मिक और राजनीतिक हस्तक्षेप को नकारते हुए शिक्षक के व्यक्तित्व और मानक को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने अपने शिक्षकों का उदाहरण देते हुए कहा कि समग्र शिक्षकों को मूल रूप से शिक्षक के गुणों को अपनाना चाहिए।
इस मौके पर मुख्य भाषण जे.एस.एस. साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी मैंगलोर के पूर्व उपकुलपति प्रो. एल. जवाहर निशान ने दिया। इस दौरान विशेष अतिथि के रूप में पहुंचे पूर्व उपकुलपति डॉ. एस.पी. सिंह ने आज के चुनौतीपूर्ण समय में समस्त शिक्षक संगठनों को एकजुट होने का आह्वान किया।
इस अवसर पर लुधियाना के विधायक अशोक कुमार पराशर ने विभिन्न राज्यों से पहुंचे शिक्षकों को जी आयां कहकर पंजाब सरकार की ओर से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पूर्ण सहयोग देने का भरोसा दिया।
एआईएफसीटीओ के महासचिव ने बताया कि नई शिक्षा नीति में कई खामियां हैं। हम इसे शुरुआत से ही विरोध कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु सहित कई राज्यों ने नई शिक्षा नीति को लागू करने से मना किया है। उन्होंने कहा कि हमारा इस सम्मेलन का मुख्य मुद्दा पंजाब सहित पूरे भारत के शिक्षकों के पेंशन और अन्य लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि पंजाब के एडिड कॉलेज बाकी राज्यों के मुकाबले काफी पीछे हैं। उन्होंने इस मौके पर कहा कि पंजाब सरकार को तुरंत प्रभाव से एडिड कॉलेजों की 95 प्रतिशत ग्रांट बहाल करनी चाहिए।
इस सम्मेलन के आयोजक सचिव और एआईएफसीटीओ के उपाध्यक्ष डॉ. विनय सोफत ने मंच पर शुशोभित एआईएफसीटीओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एम. नागार्जुन, महासचिव डॉ. अरुण कुमार, डॉ. डी. कुमार, पीसीसीटीयू के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सीमा जेतली, महासचिव डॉ. गुरदास सिंह सेखों, पीएयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मनदीप सिंह गिल सहित विभिन्न राज्यों की यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों से आए बड़े संख्या में प्रतिनिधियों का औपचारिक स्वागत करते हुए बताया कि इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य नई शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद विद्यार्थियों और शिक्षकों के लोकतांत्रिक अधिकारों, शैक्षिक स्वायत्तता और शिक्षकों की सेवाओं की शर्तों को सामने रखते हुए उच्च शिक्षा के स्तर को ऊंचा करना है।
देशभर की यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों के शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करने वाले इस महत्वपूर्ण सम्मेलन की मेज़बानी कर रही पीसीसीटीयू के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सीमा जेतली और पीएयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मनदीप सिंह गिल ने जानकारी देते हुए बताया कि पंजाब को इस शैक्षिक सम्मेलन की मेज़बानी का अवसर पहली बार मिला है। उन्होंने बताया कि इस दो दिन के शैक्षिक सम्मेलन के पहले दिन के विभिन्न सत्रों के दौरान तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, मणिपुर, महाराष्ट्र, एमपी, यूपी, राजस्थान, असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, उड़ीसा, बिहार, नागालैंड, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल आदि राज्यों के शिक्षा शास्त्रियों द्वारा अपने-अपने राज्यों में नई शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद उच्च शिक्षा की स्थिति पर विचार-विमर्श किया जाएगा, जबकि कल दूसरे दिन के विभिन्न सत्रों के दौरान 150 से अधिक शोध पत्र पेश किए जाएंगे। इस मौके पर पीसीसीटीयू और पोटा के पूर्व पदाधिकारियों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर अन्य लोगों के अलावा एआईएफसीटीओ के राष्ट्रीय सचिव डॉ. विनायक भट्टाचारिया, एम. लोकेन्द्रो सिंह, प्रो. वी. रवी, प्रो. सुनेत्रा मित्रा, प्रो. मोजपाल सिंह, प्रो. नरेंद्र सिंह, बनीता सकलानी, प्रो. अमित चौधरी, डॉ. हरमीत सिंह किंगरा, प्रो. जगदीप कुमार, प्रो. एस.एस. रंधावा, प्रो. रमन कुमार, प्रो. भुपिंदर सिंह भी मौजूद थे।
**फोटो कैप्शन**: एआईएफसीटीओ की 33वीं शैक्षिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान अध्यक्ष मंडल सोविनार रिलीज करते हुए (सजिओं खब्बे) डॉ. विनय सोफत, डॉ. धर्म सिंह, डॉ. मनदीप सिंह गिल, प्रो. एल. जवाहर निशान, प्रो. अरुण कुमार, प्रमुख शिक्षाविद डॉ. सरदार सिंह जोहल, डॉ. एस.पी. सिंह, डॉ. एम. नागार्जुन, डॉ. डी. कुमार, डॉ. आम्या मोहंती, सीमा जेतली।