जालंधर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में सामुहिक निशुल्क दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमान रोहित भाटिया से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन ,नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।

सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ पर उपस्थित प्रभु भक्तों को संगति और कुसंगति के प्रभावों के बारे बताते हुए कहते है कि संगति अथवा कुसंगति का प्रभाव, मानवीय चरित्र के विकास व ह्रास की दिशा व दशा को सुधारने अथवा बिगाडऩे में पूर्ण रूप से सहायक होता है। संगति की किसी भी मनुष्य के जीवन-विकास अथवा जीवन-लक्ष्य निर्धारण में अपूर्व भूमिका होती है। जिस तरह की संगति में हम रहते हैं, वैसी ही गुणात्मकता अथवा निकृष्टता नैसर्गिक रूप से हमारे चरित्र को आच्छादित कर देती है और धीरे-धीरे हम उसके समकक्ष अथवा उसी श्रखंला में अग्रिम स्थिति में आने या लक्ष्य पाने के उत्प्रेरित अथवा बाध्य हो जाते हैं।
नवजीत भारद्वाज जी कहते है कि कुसंगति का दंश, संगति के सुखद सहचर्य से अधिक भयावह, विषाक्त व कलुषित करने वाला होता है। कभी-कभी गुणात्मकता पास-परिवेश को उतनी तीव्रता से प्रभावित नहीं कर पाती, जितनी कि अवगुणों की नकारात्मकता। एक अवगुण सौ गुणों के महत्व को भी धूल-धूसरित करने में देर नहीं लगाता। कलियुग में गुणात्मकता, पुण्य, सत्य व आदर्श का प्रसार जितनी धीमी गति से होता है, उसकी अपेक्षा असत्य, पाप, अवगुण व नकारात्मकता का प्रभुत्व, प्रभाव व प्रसार, तीव्रतर गति से होता है।
इसीलिए कविवर रहीम कुसंगति के दुष्प्रभाव के दंश को इन शब्दों में निरूपित करते हैं :-
*बसि कुसंग चाहत कुसल, यह रहीम अफसोस।*
*महिमा घटी समुद्र की, रावण बसा परोस॥*
नवजीत भारद्वाज जी प्रभु भक्तों को अर्थात् समझाते हुए कहते है कि कुसंगति के प्रभाव से जहां गुणात्मकता कलुषित होती है, वहीं असत्य व अवगुणों को सीना फुलाकर अन्यान्य मार्गों में आगे बढऩे के अवसर मिल जाते हैं। इससे सत्य जहां कु-परिभाषित होकर झूठ के कटघरे में खड़े हो जाने के लिए बाध्य हो जाता है, वहीं असत्य एवं अवगुण को गरिमा, महत्व एवं उपादेयता की हांडी हाथ लग जाती है। जिस अनुपात में सज्जन के सत्संग से दुर्जन की गुणात्मकता का ग्राफ ऊपर की ओर बढ़ता है, उसी अनुपात में दुर्जन की संगति से सज्जन का चरित्र, व्यक्तित्व एवं गुणवत्ता क्रमश: कलंकित होती चली जाती है। जिस प्रकार मदिरा विक्रय करने वाला चाहे अपने हाथ में श्रेष्ठ दूध का पात्र ही क्यों न ले ले, लेकिन उसके ग्राहकों को उसमें भी मदिरा होने के भ्रम से मुक्त नहीं किया जा सकता। कुसंगति उस जोक की तरह है जो गुणात्मकता के लहू को सोख कर ही दम लेती है।

इस अवसर पर जानू थापर, अमरेंद्र कुमार शर्मा,दिनेश चौधरी, समीर कपूर, राकेश प्रभाकर,सरोज बाला,पूनम प्रभाकर, नरेश,कोमल ,जगदीश डोगरा, ऋषभ कालिया, अमरजीत सिंह, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र ,बावा जोशी,राकेश शर्मा, अमरेंद्र सिंह,बावा खन्ना, नवीन , प्रदीप, सुधीर, सुमीत,जोगिंदर सिंह, मनीष,सुक्खा अमनदीप ,सौरभ ,शंकर, संदीप,रिंकू,प्रदीप वर्मा, गोरव गोयल, मनी ,नरेश,अजय शर्मा,दीपक , किशोर, अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर,दीपक,दसोंधा सिंह, प्रिंस कुमार, पप्पू ठाकुर, दीपक कुमार, नरेंद्र, सौरभ, नरेश,दिक्षित, अनिल, कमल नैयर, अजय,बलदेव सिंह भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।

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