जयपुर : एक शिक्षक एक ही समय में कितने कॉलेजों में पढ़ा सकते हैं? आप सोच रहे होंगे ये कैसा सवाल है, लेकिन ऐसा हो रहा है। प्रदेश के 390 व्याख्यता एक से अधिक कॉलेजों में एक ही समय पर पढ़ा रहे हैं। कॉलेज आयुक्तालय ने प्रदेश के ऐसे 465 निजी कॉलेजों का यह फर्जीवाड़ा पकड़कर उन्हें नोटिस जारी किया है। सभी कॉलेजों को बीस दिनों के अंदर जवाब देने को कहा गया है।

नोटिस के जरिए निजी कॉलेजों से लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया है। साथ की 390 व्याख्याताओं के स्थान नियमानुसार योग्यताधारी नवीन शैक्षणिक स्टाफ को नियुक्त करने की बात कही गई है। जल्दी ही इसकी सूची आवश्यक दस्तावेजों सहित आयुक्तालय को भेजनी होगी। अगर तीस दिन की अवधि के भीतर नए सिरे से शैक्षणिक स्टाफ की नियुक्ति नहीं की गई, तो राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था विनियम 1993 के नियम 7 के तहत कॉलेज की एनओसी रद्द कर दी जाएगी।

एक ही शिक्षक का एक से अधिक शिक्षण संस्थानों में कार्यरत होना यूजीसी के बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल एथिक्स का उल्लंघन है। साथ ही इससे शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। प्रदेश के सभी कॉलेज एक ही समय पर चलते हैं। ऐसे में कोई भी शिक्षक एक समय पर दो अलग-अलग कॉलेजों में कक्षाएं नहीं ले सकता है। यानी कि इनमें से कई शिक्षकों के कॉलेजों में सिर्फ नाम हैं। निजी कॉलेज एनओसी व सम्बद्धता लेने के लिए कागजों में ही फैकल्टी दिखा रहे हैं।

दरअसल, कुछ महीने पहले राजस्थान विश्वविद्यालय ने भी निजी कॉलेजों का डेटा पोर्टल पर ऑनलाइन किया था। उस समय भी जांच में यहीं सामने आया था कि एक शिक्षक एक से अधिक कॉलेज में कार्यरत हैं। विवि ने भी इन कॉलेजों को सम्बद्घता देने से पूर्व नोटिस जारी किए थे। इसके बाद यह रिपोर्ट कॉलेज आयुक्तालय को भेजी गई और पूरे प्रदेश में निजी कॉलेजों के स्टाफ की जांच की गई।

कॉलेज आयुक्तालय ने अभी तक निजी कॉलेजों के दस्तावेज जांचे हैं। गहनता से जांच की जाएं, तो सामने आएगा इनमें से अधिकतर शिक्षक दोनों में से किसी भी कॉलेज में नियमित तौर पर कार्यरत नहीं हैं।

कॉलेज संचालक राज्य सरकार की एनओसी और विश्वविद्यालय की सम्बद्धता प्राप्त करने के लिए शिक्षकों के दस्तावेज जमा कर उनका नाम कागजों में दिखा रहे हैं। इसके एवज में उन्हें कुछ पैसा या अन्य लाभ दे दिया जाता है। वर्षभर कॉलेज से न तो उन्हें वेतन मिलता है और न ही वे कक्षाओं में पढ़ाते हैं।

 

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