एपीजे कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स जालंधर में चल रही फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की श्रृंखला में आज ‘द हिडेन कास्ट ऑफ़ कन्वीनियंस इन ऑवर फूड चॉइसेज’ विषय पर
चर्चा पर परिचर्चा की गई। इस प्रोग्राम में स्रोत वक्ता के रूप में पीजी डिपाटर्मेंट आफ कामर्स एंड मैनेजमेंट की प्राध्यापिका माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के कर-कमलों से सत्र 2021-22 में नैशनल एनएसएस अवार्ड से सम्मानित श्रिया मैनी उपस्थित हुई। प्राचार्य डॉ नीरजा ढींगरा ने इस विषय की सार्थकता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज अपने गलत खान-पान एवं सुविधापूर्वक खाने की आदतों से हम कई बीमारियों का शिकार हो रहे हैं अगर हम सजग होकर अपने खान-पान का ध्यान रखें तो न केवल हम अपनी स्वास्थ्य ठीक रख सकते हैं बल्कि अपने पूरे परिवार की सेहत का भी ध्यान रख सकते हैं। मैडम श्रिया मैनी ने इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बचपन से ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं ने मुझे क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए इसके लिए मुझे प्रेरित किया, अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए मैंने पौष्टिक खानपान से संबंधित बहुत सारे विषयों पर शोध किया और आज सही खान-पान की वजह से ही मैं स्वस्थ जीवन जी रही हूं। मैडम मैंनी ने बताया कि हमारी भारतीय संस्कृति में उपवास रखने की शुरुआत वैज्ञानिक आधार पर ही हुई है पर इसके साथ बाद में धर्म को जोड़ दिया उन्होंने कहा कि नवरात्रि दोनों बार बदलते मौसम में आते हैं और इस समय गेहूं के आटे को न खाकर स्वांक एवं सिंघाड़े का आटा खाने को कहा जाता है और बहुत सारा फल खाने की बात की जाती है जो कि वास्तव में हमारी पाचन शक्ति को मजबूत बनाता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने खाने में रिफाइंड एवं म्योनीज को निकाल देना चाहिए और मौसम के हिसाब से सर्दियों में सरसों का तेल बसंत में मूंगफली का गर्मियों में कोकोनट एवं सर्दियों में घी और मक्खन का प्रयोग करना चाहिए जोकि वास्तव में हमारे लिए लाभदायक है, हमें मैदे और गेहूं का कम प्रयोग करते हुए 20 तरह के हमारे पास अनाज है बारी-बारी से उनका प्रयोग करना चाहिए। मैडम श्रेया ने बताया कि साबूत दालों को भिगोकर पकाने से उसकी न्यूट्रीशन वैल्यू बनी रहती है और साथ ही रसोई में नॉन स्टिक एवं एल्युमिनियम के बर्तनों के प्रयोग न करने की सलाह दी। मैडम मैंनी ने कहा कि स्वस्थ जीवन जीने की शुरुआत हम अपने घर से ही कर सकते हैं घर से हम हरी सब्जियों को उगा सकते हैं ताकि किसी हद तक तो हम अपनी सेहत का ध्यान रख सके। अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष डॉ सुनीत कौर ने इन एफडीपी की श्रृंखला में सभी स्रोत वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि निश्चित रूप से हर स्रोत वक्ता ने अपनी मौलिकता एवं सूझबूझ से विषय-विशेष की जानकारी देते हुए हमें प्रोत्साहित किया है।डॉ नीरजा ढींगरा ने एफडीपी की श्रृंखला का सफलतापूर्वक आयोजन करने के लिए एफडीपी इंचार्ज डॉ अंजना कुमारी,डॉ पायल अरोड़ा एवं मैडम रजनी कुमार के प्रयासों की भरपूर सराहना की।
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