नई दिल्ली : कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने आखिरकार इस बात को कबूल कर लिया कि आरोप लगाने से पहले भारत को सबूत नहीं दिए गए.सूत्रों से पता चला है की केवल खुफिया जानकारी साझा की गई है. दुनिया और उनके ही घर में हो रही फज़ीहत ने जस्टिन ट्रूडो को ये यू-टर्न लेने को मजबूर कर दिया. इसी यू-टर्न पर भारत के विदेश मंत्रालय ने भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी और साफ कह दिया कि भारत-कनाडा संबंधों को हुए नुकसान की जिम्मेदारी सिर्फ प्रधानमंत्री ट्रूडो की है. मिली जानकारी के अनुसार निज्जर एक ISI एजेंट था. जिस आतंकी निज्जर का कनाडा इतना समर्थन कर रहा है, वो दो बार उसकी नागरिकता की अपील को खारिज कर चुका था. वो पहले शरणार्थी के तौर पर कनाडा का नागरिक बनने के चक्कर में था. फिर उसने एक ब्रिटिश कोलंबियन महिला से शादी कर कनाडा में अपनी जगह पक्की करने की कोशिश की. इसके बाद भी उसकी दाल नहीं गली.
सबसे हैरानी वाली बात है की बहरहाल ये बवाल और फिर यू-टर्न की नौबत क्यों आई ये सबसे बड़ा सवाल है. क्या अपनी गद्दी बचाने के लिए ट्रूडो ने भारत के खिलाफ बयान दिया था या झूठ बेनक़ाब होने के डर से होने वाली इंटरनेशनल फज़ीहत ने ट्रूडो से ये काम कराया. कनाडा की 23-24 सीटों पर सिख वोटर का वर्चस्व ने ट्रूडो को खालिसतान समर्थकों के हाथों की कठपुतली बन गए और जो काम पाकिस्तान और खालिसतान समर्थक करते रहे हैं उसमें ये भी शिरकत कर गए.
कुछ तत्यों ये मामला जून 2023 में कनाडा के नागरिक और खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की घटना के बाद से शुरू हुआ है. कनाडा ने आरोप लगाया था कि भारतीय एजेंट्स ने कनाडा में निज्जर की हत्या की है. इसे लेकर कनाडा ने भारत के साथ अपने रिश्ते खराब कर लिए. खेल शुरू हुआ जब 2014 में निज्जर पाकिस्तान गया. सूत्रों के मुताबिक हरदीप निज्जर की पाकिस्तान में मौजूद खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स के आंतकी जगतार सिंह तारा जो कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत की हत्या में वांछित था उससे मुलाक़ात हुई थी और इसके बाद से ISI ने हरदीप को भारत विरोधी गतिविधियों के लिये अपने एसेट बना लिया. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में ISI खुलकर सामने आई जब ISI ने ब्रिटिश कोलंबिया के मिसिजेन हिल्स में खालिस्तान समर्थित सिख कट्टरपंथियों को ट्रेनिंग देने के काम के लिए मदद की.
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