दिल्ली: सनातन धर्म में होली के त्योहार का बहुत महत्व है। होली के दिन लोगों में बहुत उत्साह देखने को मिलता है। इस दिन लोग बहुत एक-दूसरे को रंग लगाकर खुशी मनाते हैं। उत्तर प्रदेश के बनारस में होली का पर्व एक विशेष तरीके से मनाया जाता है। यह होली खासतौर पर मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट जैसे श्मशान स्थलों पर मनाई जाती है। जिसे मसाने की होली या मसान होली कहा जाता है। इस दिन साधु-संत और शिव जी के भक्त चिता के भस्म से होली खेलते हैं। माना जाता है कि चिता की राख से होली खेलने से शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। तो आइए जानते हैं कि कब मनाई जाएगी मसान होलीइस साल मसान होली 11 मार्च, मंगलवार को मनाई जाएगी। यह होली उत्तर प्रदेश के बनारस में साधु-संतों और शिव भक्तों के द्वारा चिता की भस्म से खेली जाती है। मसान होली का पर्व रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चिता की भस्म से होली खेलने पर सुख-समृद्धि और शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह होली खासतौर पर हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर शिव भक्तों के द्वारा खेली जाती है।धार्मिक मान्ताओं के अनुसार, भगवान शिव जब माता पार्वती को विदा कराने के बाद काशी लेकर आए थे। तब शिव जी ने अपने गणों के साथ बहुत ही उत्साह और धूमधाम से होली खेली थी। लेकिन इस दिन महादेव भूत-प्रेतों के साथ होली नहीं खेल पाए थे। लेकिन रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन शिव जी ने सभी भूत-प्रेतों के साथ चिता के भस्म से होली खेली थी। तभी से ही इस दिन काशी में मसान होली खेलने की परंपरा शुरू हुई थी।दूसरी मान्यता के अनुसार, इस दिन शिव जी ने यमराज को हरा कर चिता के भस्म से होली खेली थी। इसलिए मसान होली भगवान शिव को समर्पित है और इसे मृत्यु पर विजय का प्रतीक माना जाता है।

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