जालंधर 4 अक्टूबर (नितिन कौड़ा ) :भारत की विरासत एवं ऑटोनॉमस संस्था, कन्या महा विद्यालय, जालंधर के द्वारा सदा ही
अपने प्राध्यापकों एवं छात्राओं में गुणवत्ता पर आधारित शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए
प्रयास किए जाते रहते हैं. इस ही श्रृंखला में विद्यालय के पोस्टग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ़
कंप्यूटर साइंस एंड आई.टी. में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर अपनी सेवाएं निभा रहे डॉ. प्रदीप
अरोड़ा तथा पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ़ फैशन डिज़ाइनिंग की अध्यक्षा डॉ. हरप्रीत कौर को
डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, भारत सरकार के द्वारा रिसर्च प्रोजेक्ट की प्राप्ति पर
प्रिंसिपल प्रो. अतिमा शर्मा द्विवेदी द्वारा सम्मानित किया गया. डेवलपिंग लो कॉस्ट
टीचिंग ऐड्स एंड प्रमोटिंग सस्टेनेबल वेस्ट मैनेजमेंट-स्वच्छ भारत पैराडाइम शीर्षक के
अंतर्गत 19,90000 रुपए धनराशि वाले इस प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. प्रदीप
अरोड़ा रहेंगे जबकि डॉ. हरप्रीत कौर को-प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर की भूमिका अदा करेंगे. इसके
साथ ही इस प्रोजेक्ट में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ से प्रो. राजेश भाटिया को भी
को-प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर के रूप में शामिल किया गया है. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य स्कूली
बच्चों, प्राध्यापकों एवं अन्य लोगों में वैज्ञानिक तर्क का प्रसार करते हुए हाथों की सफाई,
स्मार्ट सिटीज़ के निर्माण के लिए कचरा अलग करने एवं इसके प्रबंधन जैसे स्वच्छ भारत
लक्षयों को प्राप्त करना है. इसके अलावा इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य सोशल मीडिया अभियानों,
वीडियो लेक्चर्स एवं अध्यापन में कम लागत वाले स्रोतों की मदद से वैज्ञानिक ज्ञान का
उपयोग करते हुए सफाई एवं स्वच्छता से संबंधित नकारात्मक धारणाओं को दूर करना है.
यह लोकल अथवा स्थानीय भाषा में नवीनताकारी अध्यापन सहायता से प्राध्यापकों,
विद्यार्थियों एवं उनके माता-पिता के साथ-साथ सभी को खाद बनाने, कचरे को अलग करने
में वैज्ञानिक सिखलाई प्रदान करने एवं प्राकृतिक कचरा प्रबंधन तथा रसोई के कचरे से रंगाई
के पारंपरिक ज्ञान प्रदान करने का भी प्रयास करेगा. इसके अलावा स्वच्छ पानी को प्रदूषित
करती केमिकल रंगाई की बजाय आयुर्वेदिक ढंग से रंगाई को भी प्रोत्साहित किया जाएगा.
इस अध्ययन का उद्देश्य अलगाव मॉडल प्रदान करना है जो अन्य क्षेत्रों में दोहराया जा
सकता है और परिणामस्वरूप सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स को प्राप्त करने के लिए
जी.आई.एस. और ए.आई. का उपयोग करके प्रत्येक क्षेत्र का मानचित्रण किया जा सकेगा .
उल्लेखनीय है कि डॉ. प्रदीप अरोड़ा इससे पहले भी डी.एस.टी. तथा आई.सी.एस.एस.आर के
द्वारा पांच मेजर तथा माइनर प्रोजेक्ट पर काम कर चुके हैं और उन्हें एक कॉपीराइट भी
प्राप्त है. इसके साथ ही डॉ. हरप्रीत कौर सी.ई.सी. यू.जी.सी. के अंतर्गत एक प्रोजेक्ट पर
काम कर चुकी है तथा डिज़ाइन के लिए उन्हें 15 कॉपीराइट भी प्राप्त हो चुके हैं. मैडम
प्रिंसिपल ने इस विशेष उपलब्धि पर प्राध्यापकों को मुबारकबाद देते हुए कहा कि उनके द्वारा
किए जाने वाला यह कार्य यकीनन ही अध्यापन में नए पहलू स्थापित करेगा.