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नई दिल्ली :गुजरात विधानसभा चुनाव से एक साल पहले बीजेपी ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदल दिया है. विजय रुपाणी की जगह पाटीदार समुदाय से आने वाले भूपेंद्र पटेल को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है. सोमवार दोपहर को वे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. हालांकि, रुपाणी के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सीएम पद की रेस में उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल का नाम चल रहा था, लेकिन भूपेंद्र पटेल के नाम पर मुहर लगने के बाद एक बार फिर से उन्हें निराश होना पड़ा है. ऐसे में नीतिन पटेल का गुजरात में सियासी भविष्य क्या होगा? विजय रुपाणी के इस्तीफा के बाद अब गुजरात में भूपेंद्र पटेल के अगुवाई में पूरी सरकार का गठन होगा. राज्य में मंत्रिमंडल का फिर से गठन किया जाएगा. रुपाणी की सीएम की कुर्सी जाने के बाद अब नितिन पटेल को भी अपनी डिप्टी सीएम का पद गंवाना पड़ सकता है, क्योंकि बीजेपी ने पाटीदार समाज से भूपेंद्र पटेल को सीएम चुन लिया है. सीएम और डिप्टी सीएम दोनों ही पद बीजेपी एक ही समाज के नेता को नहीं देगी. इससे गलत सियासी संदेश जाएगा, जिसके चलते नितिन पटेल का क्या होगा.  बता दें कि रविवार को गुजरात बीजेपी विधायक दल की बैठक और मुख्यमंत्री के चुनाव से पहले उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा था पार्टी व सरकार में वरिष्ठता के कारण मुख्यमंत्री पद के लिए उनका नाम चर्चा में है. साथ ही कहा था कि सीएम ऐसा होना चाहिए जिसे समूचा गुजरात पहचानता हो. मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी में कोई दौड़ नहीं है, पार्टी आलाकमान जिसके भी नाम पर मुहर लगाएगा. वही, सर्व मान्य मुख्यमंत्री होगा. हालांकि, मुख्यमंत्री पद के लिए तीसरी बार नितिन पटेल को झटका लगा है. 2014 में नरेंद्र मोदी पीएम बने थे तो आनंदीबेन पटेल को सीएम की कुर्सी सौंपी थी. पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चलते 2016 में आनंदीबेन हटी तो नितिन पटेल प्रमुख रूप से सीएम के दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन विजय रुपाणी की ताजपोशी हुई. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव नतीजे के बाद नितिन पटेल को निराश होना पड़ा.रुपाणी के इस्तीफा देने के बाद पाटीदार समुदाय के सामाजिक कार्यकर्ता एवं कुछ युवाओं ने रविवार को अहमदाबाद के साइंस सिटी इलाके में नितिन पटेल को गुजरात का अगला मुख्यमंत्री बनाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे थे. नितिन पटेल को प्रमुख रूप से दावेदार माना जा रहा था, लेकिन भूपेंद्र पटेल के नाम पर मुहर लगने के बाद अब सीएम की कुर्सी के साथ-साथ डिप्टी सीएम की कुर्सी भी निकलती दिख रही है. बीजेपी गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के जातीय समीकरण साधने के लिए पाटीदार समुदाय से सीएम भले ही बना दिया हो, लेकिन अब डिप्टी सीएम का पद भी पाटीदार समुदाय को नहीं सौंपेगी. गुजरात में जातीय समीकरण का संतुलन बनाने के लिए बीजेपी पाटीदार के साथ-साथ ओबीसी और अनुसूचित जनजाति के बीच भी बैलेंस बनाने की चुनौती होगा.बीजेपी ने सीएम की कुर्सी पाटीदार समुदाय को सौंपी है तो बाकी अहम पद ओबीसी और एसटी समुदाय के नेताओं को दिए जा सकते हैं. गुजरात की सियासत में पाटीदार समुदाय के साथ-साथ ओबीसी और एसटी वोटर भी काफी अहम है. नितिन पटेल के सियासी भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी किस तरह से उन्हें एडजेस्ट करके रखती है? दरअसल, गुजरात में सीएम चेहरा बदलने के पीछे एक बड़ी कोरोना काल में गुजरात सरकार की व्यवस्थाओं से लोगों में नाराजगी है. विजय रुपाणी के साथ-साथ नितिन पटेल को भी जिम्मेदार माना जा रहा, क्योंकि उपमुख्यमंत्री के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा उन्हीं के पास था. इसके अलावा पाटीदारों को मनाने में भी नितिन पटेल फेल रहे हैं. ऐसे में रुपाणी के साथ पटेल की कुर्सी भी जानी तय मानी जा रही है. हालांकि, अब देखना है कि नितिन पटेल को बीजेपी किस तरह से साधकर रखती है?

 

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