जालंधर:- मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में श्री शनिदेव महाराज जी के निमित्त सप्ताहिक निशुल्क सामुहिक दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन किया गया।
सर्व प्रथम मुख्य यजमान संजीव शर्मा से सपरिवार वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन, नवग्रह पूजन उपरांत हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।
सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ पर उपस्थित प्रभु भक्तों को प्रवचनों द्वारा निहाल करते हुए कहा कि
सत्संग भजन कीर्तन को नहीं कहते सत्संग एक दूसरे से मिलना साक्षात्कार को कहते है। सत्संग के मनुष्य के जीवन में परिवर्तन आता है जिससे ईश्वर के दर्शन संभव है।
ईश्वर दर्शन को पापी व्यक्ति भी पा सकते है इसके लिए उसके मन का परिवर्तन होना जरूरी है। साथ ही उसके जीवन में सदगुरू द्वारा मार्ग दर्शन किया जाए। ईश्वर प्राप्ति के लिए बृह्म ज्ञान की आवश्यकता है। बृह्म ज्ञान की प्राप्ति गुरू द्वारा दिखाए मार्ग से होती है। बृह्म ज्ञान से मनुष्य अपनी इन्द्रियों पर काबू पा लेता है जिससे उसे ईश्वर की प्राप्ति संभव है।
नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि पुण्य से व्यक्ति को आनंद एवं समृद्घि मिलती है। पाप से आदमी के जीवन में कष्ट ही नहीं आते बल्कि उसका पूरा जीवन नारकीय बन जाता है। कलियुग में जहां जप, तप और कथा का आयोजन होता है, वहां ,खुशहाली स्वयं ही जाती है, क्योंकि वहां अप्रत्यक्ष रूप से ईश्वर का वास हो जाता है। मनुष्य का जीवन क्षणभंगुर है। कल शायद यह जीवन मिले या ना मिले इसलिए हरि नाम का जप कर लो अन्यथा पश्चताना पड़ेगा। आज का मनुष्य अपने जीवन को माया के बंधन में बंाधकर व्यर्थ गंवा रहा है। उसे बिना एक क्षण गवाएं सत्संग का संग करके अपना सर्वस्व प्रभु को समर्पित कर देना चाहिए। भक्ति सत्संग को कर्म बनाने से ही मनुष्य में सत्कर्म की उत्पत्ति होती है। जिस प्रकार सब्जी में नमक कम होने पर बेस्वाद हो जाती है उसी प्रकार भक्ति सत्संग के बिना मनुष्य का जीवन बेकार है।
जिस प्रकार सूर्य के उदय होने से अंधकार मिट जाता हैं, उसी प्रकार भक्ति सत्संग सुनने से मनुष्य के अंदर का अंधेरा मिट जाता हैं और ज्ञान का प्रकाश फैलता हैं। यह गं्रथों की सच्चाई हैं। इसको छुपाया नहीं जा सकता हैं। यह हमें ज्ञान प्रदान करते हंै लेकिन सत्संग और कीर्तन आदि से इस ज्ञान की ज्योति को प्रकाशित करने की जरूरत हैं।
भगवान को पाना है तो सत्संग करो, मानव जीवन के सात जन्मों की ग्रन्थियाँ भी स्वत: खुल जाएगी या भगवान स्वयं खोलेगा। जहां भक्ति, ज्ञान और आनन्द होता है वहाँ भगवान स्वयं जाते है।
नवजीत भारद्वाज जी ने प्रवचनों पर विराम लगाते हुए कहा कि जिसने भक्ति मार्ग की ओर कदम बढ़ा दिया है तो फिर भगवान भी उसके हाथ थाम लेते है फिर जिसके साथ भगवान हो उस जीव का तो सब तरह से कल्याण है।
इस अवसर समीर कपूर,रिंकू सैनी, रोहित भाटिया,अवतार सैनी,सौरभ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा,वरुण,नितिश, भोला शर्मा,जानू थापर,अमित शर्मा, हंसराज, दीपक कुमार,रवि भल्ला,मनीष महरा, जगदीश,गौरव जोशी,अजीत कुमार,राहुल लुथरा, उदय सिंह, प्रशांत,सुभाष डोगरा,मधुर, ऋषभ कालिया,नवीन सहित भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।
हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।
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