नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने कहा है कि हृदय रोगियों के लिए खतरनाक मानी जाने वाली आइब्यूप्रोफेन जैसी कुछ दर्दनिवारक दवाएं कोरोना के लक्षणों को गंभीर कर सकती हैं। इनसे गुर्दे खराब होने का जोखिम बढ़ सकता है। आइसीएमआर ने सलाह दी कि नॉन स्टीरॉयड एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाएं लेने की जगह बीमारी के दौरान जरूरत पड़ने पर पैरासीटामोल दवा ली जानी चाहिए। उच्च रक्तचाप, मधुमेह (डायबिटीज) और हृदय रोगियों को लेकर अकसर पूछे जाने वाले सवालों को सूचीबद्ध करते हुए आइसीएमआर ने कहा कि अभी ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि रक्तचाप की समस्या में आराम के लिए दी जाने वाली दो दवाएं कोरोना की गंभीरता को बढ़ाती हैं।
इस सवाल पर कि क्या हृदय, मधुमेह या उच्च रक्तचाप के रोगियों को कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा अधिक है, शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान इकाई ने कहा, नहीं ऐसे लोगों को किसी अन्य की तुलना में संक्रमित होने का खतरा अधिक नहीं है। इसने कहा कि इस तरह के कुछ लोगों को अधिक गंभीर लक्षण हो सकते हैं। उन्हें अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता है। इस सवाल पर कि क्या मधुमेह रोगियों को कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा अधिक है, आइसीएमआर ने कहा कि आम तौर पर अनियंत्रित मधुमेह के रोगियों को हर संक्रमण का खतरा अधिक है।
आइसीएमआर ने कहा कि रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित लोगों को हल्का सा संक्रमित होने पर डाक्टर के सुझाए नुस्खे के अनुसार नियमित दवाएं लेनी चाहिए। कोई भी दवा अपने मन से बंद न करें। साथ ही सुगर लेवल और ब्लड प्रेशर पर नजर रखें। साथ ही सभी मरीजों से भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क का इस्तेमाल करने और उचित शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने की सलाह दी है।