वनस्पति विज्ञान विभाग और जूलॉजी विभाग ने “पौधों में बोनसाई और प्रसार तकनीक की कला” पर व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में पीएयू लुधियाना से डॉ. सिमरत सिंह और पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के वनस्पति विज्ञान विभाग से डॉ. जसप्रीत कौर ने बतौर मुख्य वक्ता शिरकत की। प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार, वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष व कार्यशाला समन्वयक डॉ. कोमल अरोड़ा, जूलॉजी विभागाध्यक्ष और डीबीटी समन्वयक प्रो. पुनीत पुरी ने वक्ताओं का स्वागत किया गया। डॉ. अरोड़ा ने कार्यक्रम का औपचारिक परिचय दिया।
प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने छात्रों को चुनौतियों से उबरने और अपने लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने व्यक्तिगत और शैक्षणिक विकास में जिज्ञासा, नवाचार और आलोचनात्मक सोच के मूल्य पर प्रकाश डाला।
पहले सत्र में डॉ. सिंह ने पौधों में विभिन्न प्रसार तकनीकों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने पौधों के अलैंगिक प्रसार के लिए कटिंग की उचित विधि के बारे में बताया। उन्होंने कॉलेज परिसर के लिए उपयुक्त नर्सरी बेड के डिजाइन भी साझा किए। दोपहर के सत्र की अध्यक्षता उप प्राचार्य व एचओडी गणित डॉ एसके तुली ने की। डॉ जसप्रीत कौर ने बोनसाई की खेती में उपयोग की जाने वाली जटिल छंटाई और आकार देने की तकनीकों पर जोर दिया जो प्रकृति की लचीलापन और ताकत का प्रतिनिधित्व करती हैं। व्यावहारिक सत्र में डॉ कौर और सभी प्रतिभागियों ने फिकस, जेड, पीपल और बरगद के पौधों को अलग-अलग आकार देते हुए बोनसाई तैयार की। समापन सत्र की अध्यक्षता रजिस्ट्रार और एचओडी, फिज़िक्स डॉ. कुंवर राजीव ने की। उन्होंने अभिनव और सूचनात्मक कार्यशालाओं के आयोजन के लिए वनस्पति विज्ञान और प्राणी विज्ञान विभाग के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम में प्रो. एसएस रंधावा, डॉ. सीमा शर्मा प्रभारी, डीएवी कॉलेजिएट स्कूल और डॉ. कपिला महाजन ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। सत्र के अंत में डॉ. शिवानी वर्मा ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। डॉ. कोमल अरोड़ा, प्रो. पुनीत पुरी, डॉ. दीपक वधावन, डॉ. लवलीन, डॉ. ऋषि, डॉ. सपना शर्मा तथा वनस्पति विज्ञान विभाग के गैर-शिक्षण कर्मचारी भी उपस्थित थे।
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