जालंधर डीएवी कॉलेज जालंधर को पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के सहयोग से भारत के रेलवे स्टेशनों पर
बधिरों के लिए दुनिया की पहली घोषणा प्रणाली विकसित करने का अवसर मिला है। कंप्यूटर
साइंस विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ ललित गोयल और पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में
कंप्यूटर साइंस विभाग के प्रोफेसर डॉ विशाल गोयल अंग्रेजी वाक्यों को भारतीय सांकेतिक भाषा
(आईएसएल) एनिमेटेड वीडियो में अनुवाद के लिए मशीन ट्रांसलेशन सिस्टम के विकास के लिए
२०१० से काम कर रहे हैं।
हाल ही में भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारित मंत्रालय ने उन्हें दो वर्ष की अवधि
के 24.15 लाख रुपये के लिए एक परियोजना स्वीकृत की है।इस परियोजना का शीर्षक है रेलवे
स्टेशनों पर दिव्यांग श्रवण बाधित लोगों के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा में सार्वजनिक
घोषणाओं प्रणाली का विकास
प्रो. विशाल गोयल, जो पंजाबी यूनिवर्सिटी में रिसर्च सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी डिवेलपमेंट ऑफ़
डिफरेंटली एबल्ड पर्सन्स के कोऑर्डिनेटर हैं, ने जानकारी दी के इस प्रोजेक्ट में उन्होंने श्री जितेश
पुबरेजा को कंप्यूटर प्रोग्रामर और श्री सौरभ सिंह को आईएसएल इंटरप्रेटर के पद पर नियुक्त
किया है।
इस टीम के साथ वे रेलवे घोषणाओं से जुड़े सभी वीडियो रिकॉर्ड करेंगे और फिर इन वीडियो को
आईएसएल एनिमेशन में बदल दिया जाएगा। डॉ ललित गोयल ने बताया कि दो प्रकार की
घोषणाएं होंगी- स्टेटिक एंड डायनामिक। स्टेटिक घोषणाएं वे होंगी जो कभी नहीं बदली जाती हैं
और चेतावनियों, मार्गदर्शक और एडविंग के लिए रेलवे स्टेशनों पर लगातार घोषणा की जाती है।
डायनामिक घोषणाएं वे हैं जो आगमन, प्रस्थान, प्लेटफार्म बदलने, किसी व्यक्ति को बुलाने,
तत्काल चेतावनी आदि संबंधों में घोषणाएं होती हैं।
डॉ विशाल गोयल ने बताया कि पहला काम ट्रेन के नाम, स्टेशन के नाम, रूट आदि एकत्र करना
है जो कि एक मुश्किल काम भी है क्योंकि यह जानकारी उपलब्ध कराने के लिए रेलवे में संपर्क
का एक भी साधन नहीं है। वे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का भी दौरा करेंगे ताकि वर्तमान घोषणा
प्रणाली के बारे में ब्यौरा मिल सके जिसमें मौजूदा घोषणा प्रणाली में ही इस प्रणाली को एकीकृत
किया जा सके।
डिस्प्ले स्क्रीन का उपयोग कर इस के पूरा होने के बाद रेलवे स्टेशनों पर इसे लागू करने की
व्यवस्था प्रस्तावित की जाएगी। डिस्प्ले स्क्रीन पर भारतीय सांकेतिक भाषा में घोषणाएं की
जाएंगी ताकि ट्रेन की प्रतीक्षा करने वाला कोई भी बधिर समझ सके कि क्या घोषणा की जा रही
है। यह पूरे विश्व में अपनी तरह का पहला मेड इन इंडिया सॉफ्वेयर होगा।
भारत सरकार के भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान केंद्र और प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी)
को भी समय-समय पर परामर्श किया जाएगा ताकि इस सॉफ्टवेर को बेहतरीन बनाया जा
सके।मंत्रालय ने आईएसएलआरटीसी के डिप्टी डायरेक्टर श्री संजय सिंह को डीएवी कॉलेज,
जालंधर और पंजाबी यूनिवर्सिटी पटिआला के साथ सलाह और परामर्श करने के लिए अपाइंट
किया है।
डॉ गोयल ने बताया कि हम श्रवण बाधित लोगों के लिए टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट पर एक दशक से
काम कर रहे हैं। अंग्रेजी टेक्स्ट से आईएसएल एनिमेशन वीडियो के लिए ट्रांसलेशन सिस्टम
पहले ही बनाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा सॉफ्टवेर है जिसमें नियमित अपडेट
और अतिरिक्त सुविधाऐं डालने की आवश्यकता है।