डीएवी कॉलेज जालन्धर के प्रांगण में महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती और बैसाखी के उपलक्ष्य में 51 कुंड हवन महायज्ञ का भव्य आयोजन हुआ। इस पवित्र महायज्ञ में शहर के प्रतिष्ठित चार्टर्ड अकाउंटेंट एवं समाज सेवी एवं मुख्य अतिथि श्री सुधीर शर्मा, स्थानीय प्रबंध समिति के मेम्बर कुंदन लाल अग्रवाल, प्रिंसिपल डॉ राजेश कुमार, गुरु विरजानन्द संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ उदयन,  वाईस प्रिंसिपल प्रो सलिल उप्पल, वाईस प्रिंसिपल अर्चना ओबरॉय, रजिस्ट्रार प्रो कुंवर दीपक, डिप्टी रजिस्ट्रार प्रो नरेश शर्मा,  स्टाफ सेक्रेटरी डॉ संजीव धवन, जॉइंट स्टाफ सेक्रेटरी एवं डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो मनीष खन्ना ने इस अवसर पर मुख्य यजमान के रूप में उपस्थित रहे। आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब से श्री रणजीत आर्य,  श्री जसविंदर कालिया, इंद्रपाल, आर्यसमाज शहीद भगत सिंह नगर से भूपेन्द्र उपाध्याय एवं पूरे कॉलेज से टीचिंग और नॉन टीचिंग के मेंबर्स ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस अवसर पर डीएमएस स्कूल के प्रधानाचार्य श्री गौतम भी उपस्थित थे।

 

कॉलेज के समस्त टीचिंग और नॉन टीचिंग डिपार्टमेंट्स को एक एक कुंड दिया गया था, जहां पर उनके डिपार्टमेंट के अध्यक्ष, प्राध्यापक और विद्यार्थी बैठे हुए थे। आचार्य हंसराज ने एक घंटे चले इस 51 कुंड हवन महायज्ञ को बड़े ही सुचारू ढंग सम्पन्न किया। गुरुकुल  करतारपुर से आये 51 शास्त्रियों ने शिक्षण स्टाफ, प्रशासन विभाग, एकाउंट्स विभाग और कॉलेज के हाउस कीपिंग स्टाफ के साथ श्रद्धेय वेद मंत्रों का जाप और भक्ति गीत गाकर दिव्य उत्साह के साथ समारोह में भाग लिया। मंत्रों के जाप और धार्मिक भजनों से आध्यात्मिकता का माहौल बना। हवन पूर्ण होने पर प्रिंसिपल डॉ राजेश कुमार ने पंडाल में बैठे सभी सदस्यों पर पुष्प वर्षा की। विद्यालय परिसर में यज्ञ के दौरान वैदिक मंत्रों की ऋचाओं की गूंज के बीच अध्यात्म भक्ति का वातावरण रहा। कॉलेज परिसर में लहराती केसरिया रंग की ओ३म लिखी ध्वजाओं के कारण श्रद्धा का भाव जाग्रत होता रहा।

 

हवन के पश्चात प्रसिद्ध भजनोपदेशक सीमा अनमोल ने महर्षि दयानंद सरस्वती जी के विचारों को भजनों के माध्यम से प्रस्तुत किया और स्वामी जी के विचारों को अपने जीवन में धारण करने के लिए सभी को प्रेरित किया।

 

मुख्य वक्ता डॉ उदयन ने अपने संबोधन में महर्षि दयानंद सरस्वती जी के तत्कालीन काल में धार्मिक भ्रष्टाचार, नैतिक पतन और लैंगिक असमानता से ग्रस्त भारतीय समाज में उनके युगांतरकारी योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने आगे कहा कि भौतिक रूप भले ही आज हमारे सामने न हो लेकिन उनकी विरासत और शिक्षाएं अविनाशी हैं क्योंकि वे मेल-मिलाप, विनम्रता और उत्थान के प्रतीक थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन मानव जाति को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य के लिए समर्पित कर दिया। आर्य समाज के संस्थापक होने के नाते, उन्होंने वैदिक विचारधाराओं को पुनर्जीवित किया, जो उनके समय में लगभग समाप्त हो चुकी थी। उन्होंने मूल्य आधारित शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए अपने भाषण का समापन किया और उपस्थित लोगों को जीवन के वैदिक तरीके का पालन करने और पाखंड और अनुचितता से बचने के लिए प्रेरित किया।

 

मुख्य अतिथि श्री सुधीर शर्मा ने भारतीय संस्कृति की वंदना की और सभी से आग्रह किया कि वे अपने देश एवम् समाज के प्रति भूमिका पूरी लगन से निभाएं और देश को अपने पिछले गौरव को वापस पाने में मदद करें।

 

स्थानीय प्रबंध समिति के मेम्बर श्री कुंदन लाल अग्रवाल ने अपने वक्तव्य में स्वामी दयानंद सरस्वती जी के अनुकरणीय जीवन की महिमा की और भारतीय समाज के सुधार और वैदिक संस्कृति को पुनर्स्थापित करने में उनके योगदान की व्याख्या की। उन्होंने सभी से वैदिक मूल्यों को आत्मसात करने और स्वामी दयानंद की विरासत को आगे बढ़ाने का आग्रह किया।

 

कॉलेज प्रिंसिपल डॉ राजेश कुमार ने कहा कि समाज सुधारक के रूप में स्वामी दयानंद जी ने समाज को अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश में ले जाने का जो कार्य किया, वह समाज को नई दिशा देने वाला रहा। इसी कारण समाज संस्कृति का विकास संभव हुआ और स्वामी जी के प्रयासों से मिली महिला शिक्षा ने समाज की तस्वीर ही बदल दी है। उन्होंने कहा की महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक तथा आर्य समाज के संस्थापक, महान देशभक्त और समाजसेवी थे, उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना। ‘वेदों की ओर लौटो’ स्वामी जी का प्रमुख नारा था, जिस पर चलते हुए समाज में उद्धार हुआ और राष्ट्रीय नव जागरण हुआ। अंत में प्रिंसिपल डॉ राजेश ने ख़ास तौर पर स्टूडेंट कौंसिल के सभी बच्चों का इस हवन यज्ञ को सफल बनाने पर प्रशंसा की।

 

अंत में धन्यवाद ज्ञापन स्टाफ सेक्रेटरी डॉ संजीव धवन ने पारित किया, जिसमें उन्होंने दिग्गजों को उनके कीमती समय और उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया और साथ ही इस कार्यक्रम को सफल बनाने में शामिल स्टूडेंट कौंसिल के डीन प्रो मनीष खन्ना और उनकी पूरी कौंसिल के सफल प्रयासों की प्रशंसा की । इसके बाद सभी ने शांति पाठ और ऋषि लंगर में भाग लिया।

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