डी.ए.वी. कॉलेज जालंधर ने डीबीटी स्टार कॉलेज योजना के तत्वावधान में 27 सितंबर से 4 अक्टूबर 2025 तक “नवोन्मेष – सतत भविष्य के लिए नवाचार और अंतःविषय अनुसंधान” शीर्षक से एक सप्ताह का संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) आयोजित किया है। कार्यक्रम की शुरुआत 50 से अधिक उत्साही प्रतिभागियों के साथ हुई, जिनमें मुख्य अतिथि डॉ. जी.एस. बेदी, निदेशक पशुपालन, पंजाब; वरिष्ठ उप-प्राचार्य प्रो. कुॅंवर राजीव; उप-प्राचार्य प्रो. सोनिका दानिया; डी.ए.वी. कॉलेज जालंधर के रजिस्ट्रार प्रो. अशोक कपूर और आमंत्रित वक्ता: गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर से प्रो. अनीश दुआ; श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय, कटरा, जम्मू-कश्मीर से प्रो. शारदा मल्लूबोटाला पोटुकुची; और पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा से प्रो. संजीव कुमार ठाकुर शामिल थे।

जालंधर के डी.ए.वी. कॉलेज में हाल ही में साऊ दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) का शुभारंभ हुआ, जिसमें श्रीमती पूजा शर्मा ने उद्घाटन सत्र की शुरुआत की और संस्थान के समृद्ध इतिहास को सांझा किया।एक शताब्दी से अधिक की विरासत के साथ स्थापित, डी.ए.वी. कॉलेज उच्च शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र रहा है, जो वैदिक परंपराओं के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

कार्यक्रम की शुरुआत डी.ए.वी. कॉलेज गान से हुई, जिसके बाद विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित किया। प्रो. कुॅंवर राजीव ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया, जबकि डीबीटी समन्वयक और कार्यक्रम के संयोजक डॉ. पुनीत पुरी, प्राणीशास्त्र विभाग ने एफडीपी के आयोजन के महत्व के साथ-साथ आगामी सात दिनों के लिए इसकी प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डाला।

एफडीपी का उद्घाटन डॉ. जी.एस. बेदी ने किया। अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. बेदी ने नीतियों को लागू करने के महत्व पर प्रकाश डाला, जैसे कि टीकाकरण और निवारक कार्यक्रमों के माध्यम से पशु स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने और पशुधन जनगणना जैसी पहलों की देखरेख पर हाल ही में ध्यान केंद्रित करना। उन्होंने डेयरी फार्मिंग में वैज्ञानिक तरीकों के महत्व, पशु मृत्यु दर को कम करने और पूरे पंजाब में किसानों और पशुधन की भलाई सुनिश्चित करने पर जोर दिया।

उद्घाटन भाषण के बाद दिन के पहले वक्ता डॉ. संजीव ठाकुर के साथ विचार-विमर्श जारी रहा। अपने व्याख्यान में डॉ. संजीव ने भारत की बढ़ती जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने के लिए कृषि फसलों के महत्व और उनकी खेती के अच्छे तरीकों पर प्रकाश डाला। हमारी प्रमुख फसलों के पोषण मूल्यों में सुधार के विभिन्न संभावित उपायों पर चर्चा की गई, जिसमें टिकाऊ उत्पादन के लिए हमारे पर्यावरण की सुरक्षा के उपाय भी शामिल थे। पौधों के साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए सभी खेती योग्य भूमि पर निगरानी के लिए उपग्रहों के माध्यम से निगरानी जैसी तकनीक का उपयोग आवश्यक है। पहला सत्र चाय के ब्रेक के साथ समाप्त हुआ।

दूसरा सत्र प्रो. अनीश दुआ की प्रस्तुति के साथ शुरू हुआ। उनका प्रेरक भाषण गहन था और शिक्षण बिरादरी पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने डेली के विचार की वकालत की- अपनी रुचियों को पहचानने, उसके लिए काम करने और समय के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता, नई तकनीकों के लिए अनुकूलन क्षमता होनी चाहिए। अपने वैज्ञानिक प्रयासों में सहभागी और सहयोगात्मक दृष्टिकोण को विकसित करना चाहिए। आर्द्र भूमि और मत्स्य पालन के क्षेत्र में कार्य अनुभव होने के कारण, उन्होंने प्रतिभागियों के साथ अपने बहुमूल्य शोध अनुभव सांझा किए ।उन्होंने प्रतिभागियों को वैज्ञानिक क्षेत्रों में किए जाने वाले प्रयासों में नवाचार की भावना विकसित करने और उनसे लाभ प्राप्त करने के तरीकों पर प्रकाश डाला। पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, डिज़ाइन, भौगोलिक संकेतक कैसे प्राप्त किए जा सकते हैं और इन सबके पीछे क्या कानूनी पहलू हैं, इस पर भी प्रकाश डाला। बौद्धिक संपदा अधिकारों का उद्देश्य नवाचार को प्रोत्साहित करना, विशिष्ट अधिकार प्रदान करना और नवप्रवर्तकों तथा नेतृत्व क्षमता वाले कर्मियों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।अंततः, एफडीपी के पहले दिन का समापन डी.ए.वी. कॉलेज, जालंधर के गणित विभाग से डॉ. आशु बहल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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