डी.ए.वी. यूनिवर्सिटी, जालंधर में आयोजित स्टूडेंट इंडक्शन प्रोग्राम “दीक्षारंभ 2025” के तीसरे दिन का केंद्रबिंदु छात्रों को मानसिक तंदुरुस्ती, कानूनी अधिकारों की समझ और आपातकालीन परिस्थितियों में प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने की क्षमताओं से सशक्त बनाना रहा।
दिन की शुरुआत डॉ. शबनम प्रियदर्शिनी (सलाहकार एवं प्रमुख, कैपेबिलिटी डेवलपमेंट, सेज सस्टेनेबिलिटी) द्वारा “मेंटल हेल्थ एंड वेलनेस” विषय पर एक अत्यंत प्रभावशाली और विचारोत्तेजक सत्र के साथ हुई। उन्होंने छात्रों को भावनात्मक स्वास्थ्य, तनाव, थकावट और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में जागरूक किया। उनके कथन – “इट्स ओके टू नॉट बी ओके” और “मदद माँगना कमजोरी नहीं, बल्कि साहस है” – ने छात्रों को आत्म-जागरूक बनने हेतु प्रेरित किया।
इसके पश्चात एडवोकेट निमरता गिल (जिला न्यायालय, जालंधर) ने “कदम बढ़ाओ, रैगिंग हटाओ” अभियान के अंतर्गत छात्रों को रैगिंग से संबंधित कानूनी प्रावधानों, डी.ए.वी. यूनिवर्सिटी की कड़ी रैगिंग विरोधी नीति, उपलब्ध संसाधनों और हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी दी। उन्होंने विद्यार्थियों को एक सुरक्षित और समावेशी कैंपस बनाए रखने के लिए आत्मविश्वास से आगे आने और सजग रहने की प्रेरणा दी।
तीसरा सत्र डॉ. रणजोध सिंह द्वारा “आपदा प्रबंधन” विषय पर आयोजित किया गया। उन्होंने प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के समय तैयार रहने, जोखिमों की पहचान करने और जीवन रक्षक रणनीतियों की जानकारी दी। उनके व्यावहारिक अनुभवों पर आधारित संवाद ने विद्यार्थियों का विशेष ध्यान आकर्षित किया।
दोपहर सत्र में डॉ. सपना सेठी (निदेशक, आई.क्यू.ए.सी.) ने “आउटकम बेस्ड एजुकेशन” पर एक प्रेरणादायक सत्र का संचालन किया, जिसमें उन्होंने छात्रों को लर्निंग आउटकम्स के महत्व को विस्तार से समझाया।
इसके बाद डॉ. प्रतिमा शर्मा ने मानसिक तंदुरुस्ती और नींद के बीच संबंध को लेकर एक महत्त्वपूर्ण सत्र लिया। उन्होंने नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए व्यावहारिक तकनीकों को साझा किया और समझाया कि मानसिक स्वास्थ्य और नींद किस प्रकार गहराई से जुड़े हुए हैं। उन्होंने तनाव से निपटने के तात्कालिक और दीर्घकालिक उपायों जैसे – शारीरिक गतिविधि, आत्म-देखभाल और माइंडफुलनेस – पर ज़ोर दिया।
डी.ए.वी. यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर प्रो. (डॉ.) मनोज कुमार ने कहा कि आज की गतिविधियाँ न केवल शैक्षणिक रूप से बल्कि भावनात्मक रूप से भी विद्यार्थियों को सशक्त बनाने की विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा, “हम ऐसे नागरिक तैयार करना चाहते हैं जो जीवन की चुनौतियों का सामना आत्मविश्वास, संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ कर सकें।”
यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रो. (डॉ.) एस.के. अरोड़ा ने कहा कि आज के सत्रों ने जीवन कौशलों को संस्थागत मूल्यों से जोड़ते हुए विद्यार्थियों को आत्म-जागरूक, जिम्मेदार और भविष्य के लिए तैयार बनाया है।
डॉ. कमलजीत कौर सिद्धू, डीन, स्टूडेंट्स वेलफेयर, ने विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय जीवन को उत्सुकता, अनुशासन और सक्रिय भागीदारी के साथ अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य और आपदा तैयारी के महत्व को रेखांकित करते हुए विभिन्न क्लबों और समितियों के माध्यम से उपलब्ध अवसरों की जानकारी दी। साथ ही, उन्होंने छात्रों को हर संभव सहयोग देने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय की सख्त रैगिंग विरोधी नीति को दोहराते हुए छात्रों से अनुरोध किया कि वे एक सुरक्षित और सम्मानजनक कैंपस वातावरण बनाए रखने में सहयोग करें।
Disclaimer : यह खबर उदयदर्पण न्यूज़ को सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई है। उदयदर्पण न्यूज़ इस खबर की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं करता है। यदि इस खबर से किसी व्यक्ति अथवा वर्ग को आपत्ति है, तो वह हमें संपर्क कर सकते हैं।