दिल्ली: जलवायु परिवर्तन की वजह से एक और बड़ा संकट बढ़ रहा है। ग्रीनलैंड की विशाल बर्फ़ीली चादर अब खतरे के करीब पहुंच रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बर्फ़ रिकॉर्ड गति से पिघल रही है और अनुमान है कि हर घंटे करीब 3.3 करोड़ टन बर्फ़ पिघल रही है। अगर वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है तो पूरी बर्फ़ की चादर ढह सकती है जिससे समुद्र का जलस्तर लगभग 7 मीटर तक बढ़ सकता है। इससे तटीय इलाकों को सबसे अधिक नुकसान होगा और वह इलाके डूब सकते हैं जहां भी इसका प्रभाव पड़ेगा।वैज्ञानिकों का नया अध्ययन और चेतावनी जलवायु परिवर्तन से संबंधित जर्नल ‘द क्रायोस्फीयर’ में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक वैज्ञानिकों ने एक जलवायु मॉडल तैयार किया है जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बर्फ़ की चादर विभिन्न तापमान स्थितियों में कैसे प्रभावित होगी। इस अध्ययन के अनुसार अगर हर साल 230 गीगाटन बर्फ़ पिघलती रही तो ग्रीनलैंड की बर्फ़ीली चादर को स्थायी नुकसान हो सकता है। यह आंकड़ा औद्योगिक क्रांति से पहले के स्तर से काफी अधिक है जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि इस सदी के अंत तक बर्फ़ की चादर पूरी तरह ढह सकती है।ग्रीनलैंड की बर्फ़ीली चादर की महत्ता ग्रीनलैंड की बर्फ़ीली चादर पृथ्वी की दो स्थायी बर्फ़ीली संरचनाओं में से एक है। दूसरी बर्फ़ीली चादर अंटार्कटिका में स्थित है। यह बर्फ़ीली चादर लगभग 17 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है और पृथ्वी के ताजे पानी का बड़ा हिस्सा इसमें समाया हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 1994 के बाद से ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ़ीली चादरें मिलाकर करीब 6.9 ट्रिलियन टन बर्फ़ खो चुकी हैं। इसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियां हैं।

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