
न्यूयौर्क :डोनाल्ड ने पहले टैरिफ वॉर छेड़ दिया, जिससे दुनियाभर में कोहराम मच गया. अब ट्रंप सरकार की नजर H-1B वीजा पर तिरछी हो गई है. इसको लेकर हर दिन कोई न कोई बात हो रही है. पहले H-1B वीजा पर एक लाख डॉलर (तकरीब 1 करोड़ रुपये) की फीस लगाने का ऐलान किया गया. बाद में इसे संशोधित कर सिर्फ नए यूजर तक इसे सीमित करने की बात कही गई. अब एक और बदलाव की तैयारी की जा रही है. ट्रंप सरकार H-1B वीजा के सेलेक्शन प्रोसेस में मेजर चेंज करने की प्लानिंग कर रही है. रेंडम लॉटरी के बजाय स्किल लेवल और ऑफर की गई सैलेरी के आधार पर H-1B वीजा देने का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है.
ट्रम्प प्रशासन ने H-1B वीजा चयन प्रक्रिया में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है. इससे टेक इंडस्ट्री पर असर पड़ना लाजमी है, क्योंकि यही सेक्टर इस वीजा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. नए प्रस्ताव के तहत वीजा आवंटन अब बेतरतीब लॉटरी के बजाय आवश्यक कौशल स्तर) और प्रस्तावित वेतन के आधार पर किया जाएगा. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के H-1B वीजा कार्यक्रम में सुधार के ताजा प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. यह कार्यक्रम रूढ़िवादी हलकों में विवाद का विषय रहा है, जहां आलोचकों का तर्क है कि यह अमेरिकी श्रमिकों को विस्थापित करता है.
प्रस्ताव के अनुसार, वीजा आवंटन केवल उच्चतम वेतन के आधार पर नहीं होगा. इसके बजाय, प्रत्येक संभावित कर्मचारी को श्रम विभाग के सर्वेक्षणों के आधार पर चार वेतन स्तरों में वर्गीकृत किया जाएगा. चयन की संभावना इस वेतन स्तर पर निर्भर करेगी. उच्चतम वेतन स्तर वाले कर्मचारियों को सेलेक्शन पूल में चार बार शामिल किया जाएगा, जबकि निम्नतम स्तर वालों को केवल एक बार.
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