
फगवाड़ा (शिव कौड़ा) 30 जून, हर महीने की तरह एसकेप लिटरेरी इंस्टीट्यूट (रजि.) फगवाड़ा ने हरगोबिंद नगर, फगवाड़ा में मासिक सार्थक और भव्य कवि दरबार का सफलतापूर्वक आयोजन किया। अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष रविंदर चोट, संरक्षक गुरमीत सिंह पलाही, गजल लेखक उर्मलजीत सिंह वालिया और समाजसेवी एडवोकेट एसएल ने की। कवि दरबार के दौरान कई सार्थक और सशक्त विचार साहित्यिक रूप में सामने आए। साहित्य केवल शब्दों की कला नहीं है, यह सामाजिक चेतना की आवाज भी है। कवियों की सुंदर रचनाओं ने जहां श्रोताओं के दिलों को छू लिया, वहीं संस्था ने दलजीत दोसांझ के खिलाफ नफरत भरे अभियान और उनकी नागरिकता रद्द करने की मांग करने वाली ताकतों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी पारित किया। संस्था ने दलजीत दोसांझ को “देशद्रोही” करार देकर उनकी नागरिकता रद्द करने की शर्मनाक मांग की कड़े शब्दों में निंदा की। अध्यक्ष रविंदर चोट ने कहा कि कलाकारों और लेखकों पर इस तरह के हमले स्वीकार नहीं किए जाएंगे। कवि दरबार में उपस्थित सभी कवियों, लेखकों और श्रोताओं ने संयुक्त प्रस्ताव पारित कर संदेश दिया कि जो कलाकार अपनी मिट्टी, भाषा, विरासत, संस्कृति और पहचान को वैश्विक मंच पर ले जा रहा है, उससे नफरत नहीं, बल्कि सम्मान किया जाना चाहिए। गुरमीत सिंह पलाही ने याद दिलाया कि माननीय प्रधानमंत्री ने दलजीत दोसांझ को “देश का हीरा” कहा था। आज उसी दलजीत दोसांझ को सिर्फ एक पाकिस्तानी अभिनेत्री के साथ फिल्म करने के आधार पर “देशद्रोही” कहकर उनकी नागरिकता रद्द करने की मांग हो रही है – यह सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि हमारी साझी संस्कृति, कला और विचारों की स्वतंत्रता पर हमला है। कल किसी अन्य लेखक या कलाकार पर भी प्रतिबंध लग सकता है, इसलिए हमें यह सोचने की जरूरत है कि इस स्वतंत्र देश में स्वतंत्रता, अधिकार, विचार और कला की रक्षा कौन करेगा? स्कोप लिटरेरी इंस्टीट्यूट भविष्य में भी कला और साहित्य का उपयोग जनहित के लिए करता रहेगा और सांप्रदायिक और सत्तावादी ताकतों का विरोध करता रहेगा। एडवोकेट एस.एल. विरदी ने सभी कवियों को बेहतरीन रचनाएं सुनाने के लिए बधाई दी तथा जल संरक्षण के बारे में बहुत ही संवेदनशील और प्रभावी संदेश दिया तथा जल के गुणों को बनाए रखने और संयम से उसका उपयोग करने की अपील की। उर्मलजीत सिंह वालिया ने तरन्नम में अपनी गजल “कलम सच फरमान दी जिद ते अदी है, हुक्मरानां नो एह बाल चुभी बड़ी है” पेश कर श्रोताओं का मन मोह लिया। सोहन सहजल ने रिश्तों के मानवीय पक्ष को संवेदनशीलता से छुआ। लाली करतारपुरी ने पैसों की दौड़ और जीवन की सच्चाई को शब्दों में पिरोया। जरनैल साकी, बलदेव राज कोमल, जसविंदर फगवाड़ा और गुरमुख लोकप्रेमी, दलजीत मेहमी, देव राज दादर, प्रदीप तेजी, मोहन आर्टिस्ट सुखदेव सिंह गंधवा, रविंदर सिंह राय, सुबेग सिंह हंजराव, सीतल राम बंगा, हरजिंदर नियाना, बलबीर कौर बब्बू सैनी, अशोक टांडी, करमजीत सिंह संधू, दविंदर सिंह जस्सल, लश्कर धंदवारवी, हरचरण भारती, महेंद्र सूद विर्क, जस सरोया, गुरमुख लोहार, शाम सरगुंडी, कमलेश संधू आदि सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाएँ सौंदर्य, भाव, अभिनय, पूरी गर्मजोशी और जोश के साथ प्रस्तुत कर कवि दरबार को यादगार बना दिया। उनके लेखन, लहज़े और प्रस्तुतियों ने पूरे आयोजन की सफलता में बहुमूल्य योगदान दिया। गुरुमीत सिंह पलाही, रविंदर चोट, परविंदरजीत सिंह द्वारा व्यक्त विचारों ने इस कवि दरबार को केवल कविताओं का उत्सव नहीं, बल्कि सत्य, अधिकार और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उठाई गई आवाज बना दिया। मंच का सलीके से संचालन कमलेश संधू ने किया। कार्यक्रम में अन्य लोगों के अलावा सोहन लाल, नगीना सिंह बलघन, मनदीप सिंह, जपजीत सिंह, कश्मीर सिंह, कुलदीप कुमार दुग्गल आदि मौजूद थे