नई दिल्ली/गाजियाबाद कोरोना की दूसरी लहर के बीच दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर वाहन खूब फर्राटा भर रहे हैं। अब इसे टोल फ्री होने का असर कहें या सुगम रास्ता, लेकिन यह हकीकत है अब दिल्ली और मेरठ के बीच वाहनों का आवागमन तेजी से बढ़ रहा है। इसके चलते मेरठ रोड का ट्रैफिक घटकर आधा रह गया है। ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर (एएनपीआर) का एक महीने तक चला ट्रायल खत्म हो गया है।कहा जा रहा है कि अगले 2 महीने तक दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर फिलहाल वाहन चालकों को टोल टैक्स नहीं देना होगा। यहां पर पता दें कि एनएचएआइ द्वारा टोल दरों का निर्धारण नहीं किया गया है। चिपियाना आरओबी का निर्माण पूरा होने में भी दो महीने का समय लग सकता है। ऐसे में मई और जून में भी इस एक्सप्रेस-वे पर टोल वसूली की संभावनाएं कम ही हैं।
वहीं, ट्रायल की रिपोर्ट के अनुसार एक अप्रैल को वाहनों के लिए खोले गए दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर विगत पैंतीस दिनों में 55 लाख वाहनों का आवागमन हुआ है। आटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर सिस्टम के जरिए ट्रेस किए गए वाहनों का पूरा विवरण कंट्रोल रूम को मिल गया है। यह विवरण टोल दरों का निर्धारण होने के साथ ही फास्टैग के जरिए टोल वसूली में सहायक होगा। एनएचएआइ द्वारा टोल वसूली का ट्रायल करने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत जीरो टोल कटने का संदेश संबंधित वाहन चालक के मोबाइल पर आएगा। एक्सप्रेस-वे पर सबसे अधिक वाहनों का दिल्ली से मेरठ की ओर जाना हो रहा है। शुरू में एक लाख,बाद में डेढ़ लाख और विगत दस दिनों से दो लाख वाहन रोज दौड़ रहे हैं।डासना से पहले बनाए गए अत्याधुनिक टोल प्लाजा का विधिवत काम चल रहा है। निजी कंपनी को टोल वसूली का अस्थायी ठेका भी दे दिया गया है। टोल वसूली को छोड़कर रोज दो लाख वाहनों को ट्रेक किया जा रहा है। पता चला है कि दिल्ली से मेरठ की ओर जाने वाले वाहनों की संख्या अधिक है।
मुदित गर्ग (परियोजना निदेशक एनएचएआइ) का कहना है कि एक अप्रैल तक करीब 55 लाख वाहनों का आवागमन हुआ है। एक-एक वाहन को सीसीटीवी के जरिए ट्रैक किया गया है। वाहनों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। अगले दो महीने तक टोल वसूली की संभावनाएं कम हैं। टोल दरों के निर्धारण की तैयारी की जा रही है।