नई दिल्ली: दिवाली पर पटाखे न फोड़ने को लेकर लगे प्रतिबंध के बाद भी पूरे देश में आतिशबाजी हुई। लोगों ने दिल भरकर पटाखे चलाए, कुछ अपनी खुशी के लिए तो कुछ नियमों का मजाक उड़ाने के लिए। लेकिन सुबह होते ही पटाखों का असर साफ दिखने लगा। दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण स्तर खतरनाक के पार चला गया है। लोगों को गले में जलन और आंखों से पानी आ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, रविवार तक हालात में बदलाव आने की कोई संभावना नहीं है।शुक्रवार सुबह दिल्ली के जनपथ में हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर मापी गई। PM 2.5 का स्तर 655.07 तक पहुंच गया। सरकारी मानकों के मुताबिक, पीएम 2.5 का स्तर 380 के ऊपर जाना ही गंभीर माना जाता है। दिल्ली सरकार ने पटाखों की ब्रिकी और उन्हें जलाने पर पाबंदी लगाई थी, लेकिन लोगों ने नियमों को ताक पर रखकर सड़कों पर पटाखे फोड़ेदिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में शुक्रवार सुबह PM 2.5 का स्तर 999 मापा गया। यह स्तर दिल्ली में पॉल्यूशन मीटर मापने की ऊपरी सीमा है, यानी यह संभव है कि असल आंकड़ा इससे कहीं ऊपर रहा होगा। दिल्ली से सटे शहरों में भी पटाखों ने अपना असर दिखाया। रात 9 बजे ही फरीदाबाद में PM स्तर 424, गाजियाबाद में 442, गुरुग्राम में 423 और नोएडा में 431 पहुंच गया।दिल्ली में दिवाली की रात से पटाखे फूटने और आतिशबाजी से पहले ही वायु प्रदूषण का असर दिखना शुरू हो गया था। गुरुवार सुबह से ही आसमान में धुंध छाई हुई थी। दिल्ली में हवा का स्तर खराब होकर 363 AQI पर पहुंच गया था। मौसम और प्रदूषण का हाल बताने वाली संस्था सफर ने बताया था कि 2019 के मुकाबले इस बार दिल्ली के लोगों ने आधी मात्रा में भी आतिशबाजी की तो राजधानी में वायु प्रदूषण से हालात खराब होना तय है।पराली का धुआं भी परेशानी का सबब बनता जा रहा है। 6 नवंबर तक इसके और बढ़ने की आशंका है। सफर ने पहले ही अनुमान लगाया गया था कि 4 से 6 नवंबर तक दिवाली के पटाखों के प्रदूषण के अलावा पराली का प्रदूषण भी 20 से 38 प्रतिशत तक असर दिखा सकता है।
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